कोटा के बाजार में बिक रही है नकली खरपतवार नाशक

कोटा: कोटा क्षेत्र में विगत कई सालों से निजी कृषि सेवा केंद्रों पर किसानों को मिलने वाली खरपतवार नाशक दवाइयां किसानों के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। अधिकांश किसानों के खेतों में खरपतवार नियंत्रण दवाइयां अनुपयोगी साबित हो रही हैं। वहीं कई किसानों की फसलें हर साल दवाइयों से नष्ट होने के मामले सामने आते हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। किसान ब्रजमोहन मीणा बंबूलिया ने बताया कि मुनाफे से 14 बीघा जमीन लेकर उसमें सोयाबीन की बुवाई की थी। खेत की खरपतवार को नष्ट करने के लिए निजी कृषि सेवा केंद्र से दवा लेकर स्प्रे किया था। इससे खरपतवार की जगह सोयाबीन की फसल ही नष्ट हो गई। इस मामले की पीड़ित किसान ने दुकानदार से शिकायत की तो उन्होंने जवाब दिया कि इस बारे में दवा कंपनी को अवगत कराया जाएगा। वहीं अधिकांश किसानों का कहना है कि सोयाबीन की फसल में खरपतवार नाशक दवा का स्प्रे बेअसर हो रहा है।

किसानों ने दवा विक्रेताओं के गोदामों में रखी दवाइयों की जांच कराने की मांग की है। सूत्र बताते हैं कि कोटा जिले की पीपल्दा तहसील में सबसे ज्यादा जमीन का रकबा है। यहां खेती-किसानी ही आय का मुख्य स्त्रोत है। ऐसे में उन्हें हर साल काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों का कहना है कि कृषि अधिकारी फील्ड में नहीं जाकर मुख्यालय से ही किसानों को दिशा-निर्देश देते रहते हैं। वहीं निजी कृषि सेवा केंद्रों की जांच नहीं होने से नकली दवाइयों का कारोबार चरम पर है। खेत में दवा का स्प्रे करने पर बुवाई गई फसल तो प्रभावित होती ही है। इसका साइड इफैक्ट दूसरी बार बुवाई गई फसल पर भी होता है। किसानों ने इस बार धान, उड़द, मक्का की फसल ज्यादा रकबे में की है तथा हजारों बीघा जमीन पड़त रह गई है। किसानों ने बाजार में कुछ डीलरों पर भी मनमानी रेट लगाकर जीएसटी के नाम पर अधिक दामों पर कृषि दवाइयां बेचने का आरोप लगाया है। किसान कहते हैं कि जीएसटी का बिल भी किसानों को नहीं दिया जाता है।

किसानों ने बताया कि इस बार महंगे दामों में प्राइवेट डीलरों से सोयाबीन का बीज खरीदा था, लेकिन उसका पर्याप्त मात्रा में अंकुरण नहीं हो पाया है। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस समय सोयाबीन की फसल में फूल आने का समय है। ऐसे में किसान इल्ली के प्रकोप से बचाव को लेकर कीटनाशक का स्प्रे खेतों में कर रहे हैं। ऐसे में जरूरत है कि कृषि विशेषज्ञ खेतों पर जाकर धरती पुत्रों का उचित मार्गदर्शन करें। इस मामले में पीड़ित किसान ने जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर तनोज चौधरी को लिखित में शिकायत दी है। इसमें उन्होंने कृषि की दवा से नष्ट हुई फसल की जांच करवाकर आर्थिक सहायता राशि देने की मांग की है।


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