हिमाचल में घोटालों को अंजाम देकर विदेशों में छिप रहे मास्टरमाइंड

शिमला। हिमाचल में करोड़ों रु पए के घोटाले को अंजाम देकर कई आरोपी विदेश में जाकर छिप रहे हैं। बात चाहे प्रदेश में सामने आए इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के घोटाले की हो या फिर क्रिप्टो करंसी स्कैम की, दोनों घोटालों के मास्टरमाइंड विदेश में छिपे हुए हैं। जांच एजैंसियां भले ही दावा कर रही हैं कि आरोपियों को जल्द स्वदेश लाया जाएगा लेकिन ये राह इतनी आसान भी नहीं है। आरोपी राकेश शर्मा ने इंडियन टैक्नोमैक कंपनी की आड़ में प्रदेश में 4 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले को अंजाम दिया। इतना ही नहीं कंपनी के संचालकों ने देश के विभिन्न बैंकों के साथ धोखाधड़ी कर 2500 करोड़ से अधिक का ऋण भी लिया जबकि आरोपी अब दुबई में शानो शौकत की जिंदगी जी रहा है। प्रदेश में सामने आए क्रिप्टो करंसी स्कैम ने सभी को चौंका कर रख दिया। इस घोटाले के मास्टरमाइंड सुभाष शर्मा ने ऐसा जाल बुना कि चंद सालों में अढ़ाई लाख आई.डी. बनाकर वह करोड़पति बन गया।

माना जा रहा है कि उसने 200 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इससे पहले हर शातिर आरोपी उस तक पहुंच पाते, वह भी दुबई फरार हो गया। ऐसे में अब उसे स्वदेश लाने के लिए जांच एजैंसी को खासी कसरत करनी पड़ेगी। इसके साथ ही प्रदेश में सामने आए करोड़ोंरु पए के मानव भारती वि.वि. के फर्जी डिग्री केस की भी देशभर में गूंज सुनाई दी। इस मामले में मुख्य आरोपी राजकुमार राणा की पत्नी को भी आरोपी बनाया गया है। बताते आरोपी ने अपने पत्नी को पहले ही सात समंदर पार ऑस्ट्रेलिया भेज दिया था। प्रदेश में 260 करोड़ का बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले भी खासा सुर्खियों में रहा है। इस मामले के तहत घोटाले में संलिप्त विभिन्न निजी संस्थानों के संचालकों ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक से मिलीभगत कर 2 लाख से अधिक छात्रों की छात्रवृति को ही हड़प लिया। मामले की जांच सी.बी.आई. कर रही है। छात्रवृत्ति घोटाले में अब तक 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके साथ ही 16 संस्थानों के खिलाफ 8 आरोप पत्र अदालत में दायर किए जा चुके हैं। इन 8 आरोप पत्र में 78 आरोपियों का नामजद किया गया है। बीते दिनों ही 0 आरोपियों के खिलाफ 2 सप्लीमैंट्री चार्जशीट भी दायर की थी। वर्ष 2019 में छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर मामला दर्ज किया था। 28 संस्थान जांच दायरे में हैं।