त्योहारी सीजन और यह मिलावटखोरी

त्योहारी सीजन के मिलावटी नकली घी, तेल और अन्य खाद्य पदार्थों का बरामद होने की खबरें बेहद चिंताजनक है। यह अच्छी बात है कि स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई कर रहा है और मिलावटखोरों पर नकेल कस रहा है, लेकिन समस्या यह है कि मिलावट पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पा रही। सभी मिलावटखोर पकड़े नहीं जा रहे। त्योहारी सीजन में तो बड़े पैमाने पर मिलावट होगी, उसका खामियाजा जनता को भुगतना ही पड़ेगा।

भ्रष्टाचार के कारण अधिकतर मामले सामने भी नहीं आते। वास्तव में मिलावटखोरी न केवल गैर-कानूनी है बल्कि मानवता के प्रति जघन्य अत्याचार भी है। आम लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक न होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता खो रहे हैं, ऊपर से मिलावटखोरी ‘आग में घी’ डालने वाली बात है। पैसे के लालच में लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना धोखा है। मिलावट के लगातार बढ़ते चलन के कारण पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान सूखे मेवों की ओर भी बढ़ा है।
यह भी जरूरी है कि जनता पता होनी चाहिए जो दुकानदार नकली सामान बेचते पकड़े जाते हैं या मिलावट करते हुए या भ्रष्टाचार के कारण नहीं पकड़े जाते, उस दुकान से मिठाइयां न खरीदें। एक समय था जब लोग घर पर ही दूध से बनी मिठाइयां बनाते थे। दुकानदारों को भी समझना चाहिए कि मिलावट के कारण लोगों को ज्यादा समय तक गुमराह नहीं किया जा सकता। वास्तव में खाद्य पदार्थों व मानव जीवन के उपयोग में आने वाली किसी भी चीज के साथ खिलवाड़ करने वाले ये मिलावटखोर बहुत बड़े गुनाहगार हैं, क्योंकि ऐसा करके वो एक-दो नहीं बल्कि लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं।
दुकानदारों को शुद्धता का प्रमाण दिखाकर जनता का विश्वास जीतना चाहिए। नि:संदेह त्योहार खुशियां बांटने के अवसर होते हैं, जो समाज में अच्छा संदेश देते हैं। इसलिए पवित्र त्योहारों के नाम पर गलत तरीके से पैसा कमाने की भावना का त्याग किया जाए। मिलावटखोरी करना त्योहारों की भावना के विरुद्ध है, क्योंकि त्योहार सामाजिक कल्याण को समर्पित होते हैं। समाज में मान-सम्मान ही सबसे सर्वोत्तम व आवश्यक है।