उत्तराखंड : मुस्लिम परिवार, हर साल बनाता है रावण का पुतला

उत्तराखंड : देशभर में आज विजयादशमी का त्योहार मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, आश्विन शुक्ल दशमी के दिन ही भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को उससे आजाद कराया था. इस अवसर पर देशभर में रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है. उत्तर भारत में इस त्योहार की बहुत धूम देखने को मिलती है. शाम होते ही हर जगह रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाएगा. रावण के परिवार के पुतलों को बनाने की तैयारी महीनेभर पहले ही शुरू कर दी जाती है.

जहां भाईचारे की मिसाल देखने को मिलती है. उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है. जहां एक मुस्लिम परिवार चार पीढ़ियों से हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बना हुआ है. दरअसल, इस परिवार के लोग चार पीड़ियों से विजयादशमी के मौके पर रावण और कुंभकरण का पुतला बनाने के काम करते आ रहे हैं. इस परिवार ने इस साल भी काशीपुर और बाजपुर में रावण और कुंभकरण का पुतला बनाता आ रहा है. जिसे दशहरा के मौके पर धूमधाम से दहन किया जाता है.
हर साल रावण और कुंभकरण का पुतला बनाता है परिवार
दरअसल, मेरठ का एक मुस्लिम परिवार उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के काशीपुर और बाजपुर में दशहरा के मौके पर रावण दहन के लिए पुतले बनाता है. इस परिवार के मोहम्मद समद रामलीला में कई सालों से अपना योगदान दे रहे हैं. वह और उनकी टीम हर साल यहां आकर रावण और कुंभकरण के पुतले बनाती है. मोहम्मद समद कहते हैं कि हमें भाईचारे के साथ रहना चाहिए और हर त्योहार प्यार से मनाना चाहिए.
मोहम्मद समद का कहना है कि उनकी दस सदस्यीय टीम पूरी मेहनत और लगन से काम करते हुए इन पुतलों को तैयार करती है. समद बताते हैं कि उनसे पहले उनके दादा और उसके बाद उनके पिता रावण और कुंभकरण का पुतला बनाते थे, उनके बाद अब वह खुद भी यही काम कर रहे हैं. वह उधम सिंह नगर ही नहीं बल्कि यूपी और दिल्ली में भी रावण और कुंभकरण के पुतले बनाने का काम करते हैं. इस बार भी उन्होंने काशीपुर और बाजपुर में पुतले तैयार किए हैं.
55 फीट ऊंचा बनाया गया है रावण का पुतला
बता दें कि मोहम्मद समद ने इस बार रामलीला में रावण का 55 फीट और कुंभकर्ण का 50 फीट ऊंचा पुतला बनाया है. मेरठ का यह मुस्लिम परिवार लगभग सौ सालों से हिन्दू मुस्लिम कौमी एकता के प्रतीक के रूप में सन्देश देते हुए रामलीला में अपनी सेवा करता है. उनका कहना है कि रावण और कुम्भकर्ण के पुतले तैयार करने में उनकी टीम को डेढ़ महीने का समय लगता है और दशहरे के त्यौहार से डेढ़ महीने पूर्व वह उधम सिंह नगर पहुंच जाते हैं.
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