उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह है जहां रावण का पुतला दहन नहीं पूजा की जाती है

उत्तर प्रदेश : देशभर में आज विजयदशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. दशहरा का त्यौहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पड़ता है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. उसी दिन से यह त्यौहार दशहरा यानी विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. विजयदशमी का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन देशभर में जगह-जगह रावण दहन किया जाता है. लोग बुराई के अंत के रूप में रावण का पुतला जलाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश में एक ऐसी भी जगह है जहां रावण का पुतला दहन नहीं, बल्कि उसकी पूजा की जाती है.

जानें क्यों की जाती है रावण की पूजा
दरअसल, दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के मिश्रा गांव में रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है. ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में रावण का जन्म हुआ था. इसी गांव में रहने के दौरान रावण युवा अवस्था तक पहुंचे. गांव में मौजूद शिव मंदिर में अष्टमुखी शिवलिंग है. इसी शिवलिंग पर रावण और उनके पिता पूजा किया करते थे. बिसरख गांव में रावण दहन नहीं किया जाता. यहां मौजूद रावण के मंदिर मे विजयदशमी के दिन रावण की पूजा होती है. गांव के लोग खुद को रावण वंशज मानते हैं और एक बड़े पंडित की तरह उनकी पूजा करते हैं.
यहां हुआ था रावण का जन्म
गांव में मौजूद रावण के मंदिर की दीवारों पर रावण के जन्म के बारे में और उनके पिता और दादा के बारे में तस्वीर बनाकर दर्शाया गया है. इन तस्वीरों में रावण के जन्म से लेकर राम से युद्ध करने जाने तक की तमाम आकृतियां हैं. मंदिर के पुजारी के मुताबिक इस गांव में रावण ने जन्म लिया यहां मौजूद गुफा से गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा के लिए जाया करते थे. मंदिर के अंदर मौजूद अष्टभुजा शिवलिंग, रावण की मूर्ति, दूधेश्वर नाथ मंदिर जाने वाली गुफा और मंदिर की दीवारों पर रावण से जुड़ी बनी कला आकृति बनी हुई हैं.
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