लहलहाती मक्के की फसल दिखा बुआई को किया प्रेरित
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बस्ती: असमय बारिश के चलते खरीफ में बर्बाद होती उड़द आदि फसलों के स्थान पर मक्का की ओर किसानों को प्रेरित करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत हैं. इस क्रम में जनपद में पांच दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ. जिसमें विवि की टीम ने किसानों को अग्रिम पंक्ति के प्रदर्शन का भ्रमण कराया.
खरीफ की बुआई के समय रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी ने ग्राम पंचायत मड़ावरा, सीरोन, हंसरी, हसरा व खाईखेरा व इमलिया ग्राम में मक्का, एनपीके, नैनो यूरिया किसानों को निशुल्क बांटा गया था, जिससे वह मक्का की बुआई प्राथमिकता से कर सकें. फिलहाल यह फसल खेतों में लहलहा रही है. रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति के निर्देशन व निदेशक प्रसार शिक्षा के मार्गदर्शन में बुंदेलखण्ड क्षेत्र में खरीफ मक्का पर वैज्ञानिकों की टीम ने पांच दिवसीय प्रक्षेत्र का शुभारम्भ जिला ललितपुर से किया.
जिसमें प्रथम दिन ललितपुर जिला के ग्राम इमिलिया में किसानों के खेत पर जाकर भ्रमण किया गया तथा किसानों को वैज्ञानिक विधि से मक्का की खेती करने के लिए सलाह दी. किसानों की जिज्ञासा का समाधान करते हुए डा. शुसील कुमार ने बताया कि बुन्देलखंड में प्रजाति के आधार पर फसल कटाई की अवधि होती है. जैसे चारे वाली फसल को बोने के 60-65 दिन बाद, दाने वाली देशी ़िकस्म बोने के 75-85 दिन बाद व संकर व संकुल किस्म बोने के 90-115 दिन बाद काटना होता है. डा. अनिल कुमार राय ने बताया कि कटाई के बाद मक्का फसल में सबसे महत्वपूर्ण कार्य गहाई है. इसमें दाने निकालने के लिये सेलर का उपयोग किया जाता है. सेलर नहीं होने की अवस्था में साधारण थ्रेसर में सुधार कर गहाई की जा सकती है. डा. विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि दानों को बीज के रूप में भंडारित करने के लिए इन्हें इतना सुखा लेना चाहिए कि नमीं करीब 12 प्रतिशत रहे. यदि आप उन्हें सही ढंग से संग्रहीत कर सकते हैं तो अनाज लंबे समय तक एक कीटों और बीमारियों से मुक्त रहेगा.
बस्ती: असमय बारिश के चलते खरीफ में बर्बाद होती उड़द आदि फसलों के स्थान पर मक्का की ओर किसानों को प्रेरित करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत हैं. इस क्रम में जनपद में पांच दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ. जिसमें विवि की टीम ने किसानों को अग्रिम पंक्ति के प्रदर्शन का भ्रमण कराया.
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खरीफ की बुआई के समय रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी ने ग्राम पंचायत मड़ावरा, सीरोन, हंसरी, हसरा व खाईखेरा व इमलिया ग्राम में मक्का, एनपीके, नैनो यूरिया किसानों को निशुल्क बांटा गया था, जिससे वह मक्का की बुआई प्राथमिकता से कर सकें. फिलहाल यह फसल खेतों में लहलहा रही है. रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति के निर्देशन व निदेशक प्रसार शिक्षा के मार्गदर्शन में बुंदेलखण्ड क्षेत्र में खरीफ मक्का पर वैज्ञानिकों की टीम ने पांच दिवसीय प्रक्षेत्र का शुभारम्भ जिला ललितपुर से किया.
जिसमें प्रथम दिन ललितपुर जिला के ग्राम इमिलिया में किसानों के खेत पर जाकर भ्रमण किया गया तथा किसानों को वैज्ञानिक विधि से मक्का की खेती करने के लिए सलाह दी. किसानों की जिज्ञासा का समाधान करते हुए डा. शुसील कुमार ने बताया कि बुन्देलखंड में प्रजाति के आधार पर फसल कटाई की अवधि होती है. जैसे चारे वाली फसल को बोने के 60-65 दिन बाद, दाने वाली देशी ़िकस्म बोने के 75-85 दिन बाद व संकर व संकुल किस्म बोने के 90-115 दिन बाद काटना होता है. डा. अनिल कुमार राय ने बताया कि कटाई के बाद मक्का फसल में सबसे महत्वपूर्ण कार्य गहाई है. इसमें दाने निकालने के लिये सेलर का उपयोग किया जाता है. सेलर नहीं होने की अवस्था में साधारण थ्रेसर में सुधार कर गहाई की जा सकती है. डा. विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि दानों को बीज के रूप में भंडारित करने के लिए इन्हें इतना सुखा लेना चाहिए कि नमीं करीब 12 प्रतिशत रहे. यदि आप उन्हें सही ढंग से संग्रहीत कर सकते हैं तो अनाज लंबे समय तक एक कीटों और बीमारियों से मुक्त रहेगा.