सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह पर सुना रहा फैसला, देखें LIVE वीडियो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह पर फैसला सुना रहा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने इस मामले में 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल, इस मुद्दे पर 18 समलैंगिक जोड़ों की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिककर्ताओं ने मांग की है कि इस तरह की शादी को कानूनी मान्यता दी जाए.

सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में कुछ चार फैसले हैं. कुछ सहमति के हैं और कुछ असहमति के. उन्होंने कहा, अदालत कानून नही बना सकता. लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है.
सीजेआई ने कहा, समलैंगिकता केवल शहरी कॉन्सेप्ट नहीं है. उन्होंने कहा, विवाह का रूप बदल गया है. यह चर्चा दर्शाती है कि विवाह का रूप स्थिर नहीं है. सती प्रथा से लेकर बाल विवाह और अंतरजातीय विवाह तक विवाह का रूप बदला है. विरोध के बावजूद विवाहों के रूप में परिवर्तन आया है.
सेम सेक्स मैरिज पर क्या है सरकार का पक्ष?
समलैंगिक विवाह के मामले में केंद्र सरकार का तर्क है कि इस मुद्दे पर कानून बनाने का हक सरकार का है. सरकार का कहना है कि यह ना सिर्फ देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है, बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करना होगा और पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी.
पहले अपराध था समलैंगिक रिलेशनशिप
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ही सेम सेक्स रिलेशनशिप को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला दिया था. हालांकि, अभी तक समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी दावा नहीं किया जा सकता है. दरअसल, IPC की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता था. हालांकि, दुनिया में देखा जाए तो 33 ऐसे देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है. इनमें करीब 10 देशों की कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी है. इसके अलावा, 22 देश ऐसे हैं, जहां कानून बनाकर स्वीकृति मिली है.
मान्यता देने वाला ताइवान पहला एशियाई देश
अगर बात की जाए की किस देश में समलैंगिक विवाह को मान्यता है तो साल 2001 में नीदरलैंड ने सबसे पहले समलैंगिक विवाह को वैध बनाया था. जबकि ताइवान पहला एशियाई देश था. कुछ बड़े देश ऐसे भी हैं, जहां सेम सेक्स मैरिज की स्वीकार्यता नहीं है. इनकी संख्या करीब 64 है. यहां सेम सेक्स रिलेशनशिप को अपराध माना गया है और सजा के तौर पर मृत्युदंड भी शामिल है. मलेशिया में समलैंगिक विवाह अवैध है. पिछले साल सिंगापुर ने प्रतिबंधों को खत्म कर दिया था. हालांकि, वहां शादियों की मंजूरी नहीं है.