समलैंगिक विवाह का मामला…

 

जीवन साथी चुनना जीवन का एक अहम हिस्सा माना जाता है। साथी चुनना और उसके साथ जीवन व्यतीत करने की क्षमता जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है। सभी को जीवन साथी चुनने का अधिकार है, चाहे वो कोई भी धर्म, जाति, समुदाय से ही क्यों न हो। समलैंगिक विवाह कानूनी तौर पर या सामाजिक रूप से एक ही लिंग के दो लोगों के विवाह को कहा जाता है।

समलैंगिक विवाह का इतिहास बहुत स्थानों पर देखने को मिलता है। साल 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, समलैंगिक विवाह को कानूनी आधार देने की मांग की जा रही है। समलैंगिकता कोई अपराध या कोई बीमारी नहीं है, कई लोग इसे बीमारी के रूप में भी समझते हैं। अब समलैंगिक विवाह को सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी तौर पर मान्यता देने से इंकार कर दिया है।

-सविता देवी, छात्रा, पंजाब विवि

By: divyahimachal  


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