15 दिनों में ही 50% तक बढ़े दाम, दिसंबर तक राहत के आसार

पिछले 15 दिनों में महाराष्ट्र के लासलगांव एपीएमसी जो कि प्याज की कीमतों का बेंचमार्क माना जाता है, में प्याज के भाव 50% से अधिक बढ़े हैं। पिछले एक हफ्ते की बात करें तो प्याज की कीमतों में 18% तक का उछाल आया है। मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे दावे किए गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार लासलगांव मंडी में मंगलवार को प्याज की औसत कीमत 38 रुपये प्रति किलोग्राम रही। जो एक पखवारे से पहले की कीमत 24 रुपये प्रति किलोग्राम से 58 प्रतिशत कम है।महाराष्ट्र में प्याज की औसत कीमतों की बात करें तो बीते 10 दिनों में यह 45 से 48 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं हैं। अहमदनगर जिले के एसोसिएशन ऑफ ऑनियन ट्रेडर्स के चेयरमैन नंदकुमार शिर्के ने मीडिया को बताया “अहमदनगर मार्केट में प्याज की औसत कीमत करीब 10 दिन पहले 35 रुपये किलो से बढ़कर अब 45 रुपये किलो हो गई है।”

राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्याज की कीमतों 25-30 फीसदी का इजाफा
देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्याज की कीमतों में 25-50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और कीमतों 50 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। सबसे अच्छी क्वालिटी के प्यात की कीमत बुधवार को दिल्ली में 50 रुपये प्रति किलो को छू गई। महाराष्ट्र के बाजार में भी अच्छी क्वालिटी के प्याज लगभग इसी भाव पर बिक रहे हैं। कहीं-कहीं प्याज की कीमतें 60 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर भी पहुंच गईं हैं। बाजार में खरीफ की फसल आने यानी दिसंबर महीने तक प्याज की कीमतों में उछाल जारी रहने की आशंका है।

खरीफ सीजन में उगाया जाने वाला प्याज, जिसकी कटाई आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर महीने में होती है, इस साल सितंबर के मध्य में आना शुरू हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार इस बार महाराष्ट्र में बुवाई क्षेत्र 36 प्रतिशत घटकर करीब 58,000 हेक्टेयर रह गई है जिसके कारण कीमतों में इजाफा हुआ है।

बीते दो सालों में नुकसान के कारण कम हुई बुआई
जानकारों के अनुसार दक्षिणी राज्यों कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में खरीफ प्याज की बुआई कम हुई है क्योंकि पिछले दो साल में किसानों को नुकसान हुआ है। इन राज्यों में सामान्य से कम बारिश से प्याज का उत्पादन और कम हो गया है। इस साल अगस्त के महीने में, केंद्र ने खरीफ फसल की देरी और कम बुवाई के कारण बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत का शुल्क लगाया था। यह शुल्क 31 दिसंबर तक लागू रहेगा।

उस अवधि में, प्याज की खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 11.7 प्रतिशत हो गई, जो जून में 1.7 प्रतिशत थी। टमाटर के साथ, प्याज ने पिछले महीने सब्जियों की मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि में योगदान दिया, जो जून में -0.7 प्रतिशत से जुलाई में बढ़कर 37.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।

इस दौरान केंद्र सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता में सुधार के लिए बफर स्टॉक सीमा को 3 लाख टन से बढ़ाकर 5 लाख टन करने का भी फैसला किया है। इसके अलावा, बफर स्टॉक से प्याज को राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) के खुदरा दुकानों और मोबाइल वैन के माध्यम से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचा गया।


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