हरियाणा में गृहमंत्री के आदेश नहीं मान रही पुलिस, अनिल विज ने मांगी 372 आईओ के सस्पेंशन आदेशों की कॉपियां

चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस अपने ही गृहमंत्री के आदेश नहीं मान रही है। तीन दिन पहले निर्देश दिए जाने के बावजूद 372 लापरवाह जांच अधिकारियों को सस्पेंड नहीं किया गया है। इन सभी जांच अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने विभिन्न आपराधिक मामलों को एक साल से भी ज्यादा समय तक लटकाए रखा है। इससे पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल पाया है।

जांच अधिकारियों को सस्पेंड नहीं किए जाने पर नाराजगी जताते हुए गृहमंत्री अनिल विज ने तत्काल सस्पेंड ऑर्डर की कॉपियां गृह विभाग को भिजवाए जाने के आदेश दिए हैं। बता दें कि विज ने 23 अक्टूबर को लापरवाह 372 जांच अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड करने के आदेश दिए थे।
विज ने गुरुवार को डीजीपी, एडीजीपी, सभी पुलिस रेंज के महानिरीक्षक, पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों से वायरलेस पर बात करते हुए निर्देश 372 जांच अधिकारियों (आईओ) को तुरंत प्रभाव से निलंबित करें। निलंबन आदेशों की प्रतियां आज शाम तक गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय में भिजवाना भी सुनिश्चित करें। इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही कतई सहन नहीं की जाएगी।

विज ने कहा कि मैं अम्बाला में रात को दो-दो बजे तक जनता दरबार लगाकर पीड़ित लोगों की शिकायतों को सुनता हूं, जिनमें अधिकतर शिकायतें पुलिस विभाग से संबंधित होती हैं। उन्होंने 372 जांच अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश खुश होकर नहीं दिए हैं। बल्कि दुखी होकर इस कार्य को किया है क्योंकि एक साल से वे लगातार सभी बैठकों में अधिकारियों को बार-बार मामलों को निपटाने के लिए कह चुके हैं व आदेश भी दे चुके हैं।
इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार देश में हुईः

गृहमंत्री ने यह भी कहा कि 372 जांच अधिकारियों को निलंबित करने की इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार देश में हुई है। उन्होंने सम्बन्धित पुलिस अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि इन 372 जांच अधिकारियों के अलावा जिन भी अन्य केसों में एक साल से लम्बित किसी जांच अधिकारी की संलिप्ता है तो उस जांच अधिकारी को भी निलंबन सूची में डालें। उन्होंने कहा कि इतने मामलों का लंबित होना पुलिस विभाग की तस्वीर को दर्शाता है, इसे हमें सुधारना है ताकि लोगों को न्याय मिलें और वे इधर से उधर भटकने पर मजबूर न हों।

इन जांच अधिकारियों का उत्तर संतोषजनक नहीं थाः

उन्होंने यह भी कहा कि जांच अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश से पहले पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इन जांच अधिकारियों से पत्राचार करके स्पष्टीकरण भी मांगा गया था। लेकिन संबंधित 372 जांच अधिकारियों का जवाब संतोषजनक नहीं था, इसलिए इन जांच अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं। एक साल से ज्यादा लम्बित मामले, जो कि फाइनल स्टेज पर हैं, उनका निपटान किसी भी तरह से किया जा सकता था। चाहे वह कोर्ट के माध्यम से, यदि शिकायत झूठी है तो उसे रद्द करके या अन्य नियमानुसार किया जा सकता है। मकसद एक साल से लम्बित केसों को निपटान होना था ताकि पीड़ित को समय रहते न्याय मिल सके।

लोगों को न्याय मिले, यह मेरा दायित्व हैः
गृहमंत्री ने यह भी कहा कि इस विषय बारे उन्होंने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक पी.के. अग्रवाल को पत्र लिखा था और उसके बाद लम्बित केसों का आंकड़ा 3229 प्राप्त हुआ, वो बहुत बड़ा आंकड़ा है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यही भ्रष्टाचार का कारण है कि पीड़ित को न्याय नहीं मिल रहा और शिकायतें लम्बित पड़ी हैं।
मेरी जनता के प्रति जवाबदेही है, मेरे पास गृह विभाग है। लोगों को न्याय मिले, यह मेरा दायित्व भी है। एक समाचार पत्र से उन्हें यह जानकारी मिली है कि एक डीएसपी दहेज के एक मामले में पांच साल से उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है और वह शिकायत लम्बित है, उसे भी निलंबित किया गया है। उन्होंने बताया कि पीड़ित को इतने वर्षों बाद न्याय मिले, यह भी उचित नहीं है।

 

 

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