पुलिस विभाग के बाबू ने महिला सिपाही के लिए किया ऐसा काम, अफसरों के उड़े होश

यूपी। सोशल मीडिया पर ट्रोल से परेशान होकर त्यागपत्र देने वाली महिला सिपाही प्रियंका मिश्रा को 18 अक्तूबर को दोबारा नौकरी मिल गई थी। लिपिक ने तथ्य छिपाकर सेवा में वापसी का आदेश कराया था। मामला संज्ञान में आने पर पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बाबू जितेंद्र को निलंबित कर दिया। शुक्रवार की शाम महज 48 घंटे बाद ही महिला सिपाही की दोबारा नौकरी चली गई। पहली बार उन्होंने त्यागपत्र दिया था। दूसरी बार आदेश गलत तरीके से कराया था। सेवा में वापसी के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। आमद करा ली थी। वर्दी मिल गई थी।

मूलत कानपुर निवासी प्रियंका मिश्रा को झांसी में ट्रेनिंग के बाद वर्ष 2021 में आगरा में तैनाती मिली थी। वह एमएम गेट थाने में महिला हेल्प डेस्क पर तैनात थीं। इंस्टाग्राम की एक रील उनके जी का जंजाल बनी थी। थाने में रिवाल्वर लहराकर उन्होंने एक रील बनाई थी। जो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। उन्हें लाइन हाजिर किया गया था। इस मामले में उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रॉल किया गया था। इससे आहत होकर उन्होंने त्यागपत्र दिया था। तत्कालीन एसएसपी मुनिराज जी ने त्यागपत्र स्वीकार किया था। ट्रेनिंग के दौरान हुए उन पर खर्च हुई सरकारी रकम उनसे जमा कराई गई थी।
पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि पूर्व महिला आरक्षी प्रियंका मिश्रा ने आर्थिक स्थिति ठीक न होने एवं जीवनयापन में कठिनाई का जिक्र करते हुए पुन सेवा में वापसी का प्रार्थना पत्र दिया था। जिसकी जांच सहायक पुलिस आयुक्त कार्यालय को दी गई। इस संबंध में संयुक्त निदेशक अभियोजन से भी विधिक राय ली गई। उनके द्वारा नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए स्वविवेकानुसार निर्णय देने की राय दी।
इस मामले में त्यागपत्र के बाद सेवा में वापसी के लिए समस्त पत्रावली को पुलिस मुख्यालय भेजा जाना चाहिए था। तत्पश्चात अग्रिम आदेश पारित किया जाना चाहिए था। संबंधित लिपिक जितेंद्र ने ऐसा नहीं किया। संपूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लाए बिना संबंधित लिपिक ने 18 अक्तूबर को महिला आरक्षी के सेवा में वापसी के आदेश करा लिए। जो नियम विरुद्ध है। मामला संज्ञान में आते ही पुलिस आयुक्त ने लिपिक को निलंबित कर दिया। उसके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। महिला आरक्षी को पुन सेवा में लिए जाने के आदेश को निरस्त किया गया।