यूरिन बैग लगा भटक रहे रोगी खोल रहे दावों और मानवता की पोल
ऋषिकेश: हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ऐसे ही हल्द्वानी शहर के भी दो चेहरे हैं नैनीताल हाईवे पर खड़े बड़े-बड़े मॉल, रेस्तरां ऐसी दुकानें जहां चाय के लिए भी सैकड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं इनके आगे खड़ी लाखों-करोड़ों की चमचमाती कारें कारों के बाहर-भीतर मुस्कुराते-ठहाके लगाते चेहरे सभी को आकर्षित करते हैं लेकिन ठीक इस हाईवे के पार पार्कों में दो जिंदा लाशों की तरह घूम रहे अमनदीप और रोहित हमें शहर का दूसरा चेहरा दिखाते हैं जो सामाजिक असंतुलन के साथ हमारे मानवीय मूल्यों, मर चुकी संवेदनाओं, सड़ चुके हेल्थ सिस्टम, गरीबों के नाम पर लाखों करोड़ों समेट रही स्वयं सेवी संस्थाओं के अलावा बीमार हो चुके सरकारी सिस्टम की एक झटके में पोल खोल देते हैं
ई-रिक्शा चलाया, अब भीख मांग रहा रोहित
किराये में रहकर गुजर बसर करने वाले रोहित श्रीवास्तव (32) की कहानी भी लगभग अमन जैसी ही है रोहित का भी दुनिया में कोई नहीं है इस साल मार्च में यूरिन में खून आने की समस्या पर इलाज को एसटीएच पहुंचे तो चिकित्सकों ने दर्जनों जांचें लिख दीं साथ ही यूरिन के लिए पाइप व थैली लगा दी डॉक्टर ने ऑपरेशन को 12 दिसंबर की तारीख दी इसके लिए पैसे जुटाने को रोहित ने यूरिन पाइप व थैली के साथ एक माह ई-रिक्शा चलाया ऑपरेशन के पैसे जुटाने को अब इन दिनों महिला अस्पताल के बाहर भीख मांगकर ऑपरेशन को पैसे एकत्र कर रहे हैं