मनोहर लाल व अनिल विज को छोड़ हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला

चंडीगढ़। कहने को हर राजनीतिज्ञ के लिए यह बोल बड़े सुहावने होते हैं कि वे राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ हैं लेकिन अगर हकीकत की बात करें तो कोई भी राजनेता ऐसा नहीं रहा जिसने अपने अलावा अपने परिवार को राजनीति में पोषित करने में कसर छोड़ी हो। हरियाणा की सियासत में परिवारवाद का हमेशा बोलबाला रहा। हरियाणा के प्रसिद्ध तीन लालों चौ. देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल के परिवार के साथ कई राजनीतिक घराने रहे हैं। ये सियासी घराने आज भी हरियाणा की राजनीति में अपना वर्चस्व रखते हैं। इनकी राह पर ही चलते हुए हरियाणा के दिग्गज नेताओं ने अपने सियासी विरसे को संभालने के लिए पुत्र-पुत्रियों व रिश्तेदारों को आगे किया है।मनोहर लाल व अनिल विज को छोड़ हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला किसी से चुप नही है।

प्रदेश का को अधिकांश सीनियर नेता ऐसे हैं जो अपने ‘लालों’ के लिए राजनीति में स्थान बनाने के लिए कोशिश में ही जुटे हैं। इस सूची में पूर्व केंद्रीय मंत्री बिरेंद्र सिंह का नाम भी जुड़ा हुआ है। बिरेंद्र सिंंह हरियाणा में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा के सदस्य रहे लेकिन वे अपने नाना सर छोटूराम की सियासी विरासत को पूरी तरह भुना नहीं पाए अन्यथा आज बिरेंद्र सिंह देश का बड़ा किसान चेहरा होते। अब वे अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते। उन्हीं बिरेंद्र सिंह को अपनी पत्नी प्रेमलता को विधायक और बेटे को सांसद बनाने के लिए बड़ी रैली करनी पड़ती है।
हालांकि उनके बेटे बृजेंद्र सिंह फिलहाल हिसार से सांसद हैं और पत्नी विधायक रह चुकी हैं। जींद में सफल रैली करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का राजनीतिक कद तो बढ़ा है। लेकिन अब उनकी उम्र भी अधिक हो चुकी है। परंतु सीएम बनने की इच्छा कम नहीं हुई। पिछले चुनाव में बीरेंद्र सिंह ने अपने आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार संसदीय क्षेत्र से टिकट दिलाने की सफल कोशिश की और फिर बृजेंद्र सिंह सांसद भी बन गए। एक बार फिर बिरेंद्र सिंह अपने बेटे व पत्नी को टिकट दिलाने और चुनाव जिताने की जद्दोजहद कर रहे हैं।
कांग्रेस की बात करें तो पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा अपने राज्यसभा सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह को स्थापित कर चुके हैं। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी खुद मजबूत हैं और वे अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए राजनीति में जगह बना चुकी हैं। पूर्व सिंचाई मंत्री कै. अजय सिंह यादव अपने बेटे चिरंजीव राव को कांग्रेस में स्थापित कर चुके। चिरंजीव राव विधायक भी बने। पूर्व सीएम स्व. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई अपने साथ अब अपने दोनों बेटों भव्य और चैतन्य को आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस से पाला बदल कुलदीप बिश्नोई भाजपा में शामिल हुए और अपने बेटे भव्य को बीजेपी का टिकट दिलाकर विधायक बनवा दिया। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर भी अपनी पत्नी अवंतिका को भी राजनीति में सक्रिय कर रहे हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत अपनी बेटी आरती राव के लिए जगह बना चुके, जबकि कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी के लिए चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। इनेलो में ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला राजनीति में पूरी तरह से स्थापित हैं और कई बार विधायक बन चुके हैं। अब अभय सिंह चौटाला अपने बेटे कर्ण और अर्जुन चौटाला को सक्रिय कर रहे हैं जबकि अजय सिंह चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला पूरी तरह स्थापित हो चुके हैं। दुष्यंत चौटाला तो मौका मिलने पर बीजेपी के साथ गलबहियां कर डिप्टी सीएम के पद तक भी पहुंच गए। सीएम के पूर्व ओएसडी डॉ. केवी सिंह स्वयं चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन आज उनके बेटे अमित सिहाग डबवाली से विधायक हैं। कालांवाली विधायक शीशपाल केहरवाला भी राजनीतिक परिवार से हैं। उनके पिता ओमप्रकाश केहरवाला सिरसा लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं जबकि उनके ही परिवार के वरिष्ठ सदस्य मनीराम केहरवाला विधायक और सहकारी बैंक के चेयरमैन रहे थे।
सिरसा से कई बार विधायक और मंत्री रहे लछमन दास अरोड़ा ने अपनी बेटी सुनीता सेतिया को राजनीतिक विरासत सौंपी। यह अलग बात है कि चुनाव में सुनीता सेतिया जीत नहीं पाई। अब सुनीता के बेटे और लछमन दास अरोड़ा के नाती गोकुल सेतिया स्वच्छंद राजनीति कर रहे हैं। सिरसा की उपजाऊ राजनीतिक जमीन से ही चौ. देवीलाल ने राजनीति में कदम रखा और राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे। इस परिवार को राजनीति खूब रास आई। देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला कई बार हरियाणा के सीएम रहे। उनके एक और बेटे रणजीत सिंह आज हरियाणा में बिजली मंत्री हैं। एक बेटे प्रताप चौटाला भी विधायक बने थे लेकिन आज इस दुनिया में नहीं हैं। फरीदाबाद से बड़े नेता भड़ाना भी अपने पुत्र को राजनीति में स्थापित कर रहे हैं। जगाधरी से विधायक और हरियाणा में शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर अपने बेटे निश्चल चौधरी और भाई को राजनीति में सक्रिय कर रहे हैं।
कहने का मतलब यह है कि कभी राजनीति को काल कोठरी कहा जाता था लेकिन कालांतर में यह काल कोठरी सोने की खान बन रही है। राजनीति में रहकर आम से खास बने लोगों की फेहरिस्त छोटी नहीं है। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला तो राजनीति में परिवारवाद पर कई बार कहते रहे हैं कि व्यापारी का बेटा व्यापारी, किसान का बेटा किसान और चिकित्सक का बेटा चिकित्सक बने तो राजनीतिज्ञ का बेटा भी राजनीति ही करेगा। खैर इस मामले को लेकर वर्तमान सीएम मनोहर लाल, गृहमंत्री अनिल विज और देश के प्रधानमंत्री तो उदाहरण हैं ही, जिनके परिवार नहीं हैं और पूरे देश व प्रदेश को ही वे अपना परिवार मानकर चलते हैं। सीएम मनोहर लाल तो यह बयान भी देते हैं कि मेरे और मोदी के बेटे और परिवार तो हैं नहीं, हम तो सभी को अपने परिवार का सदस्य मानते हुए आगे बढ़ाने की दिशा में चल रहे हैं।