द�?र�?लभ कमल-हैंड बोनहोमी: पश�?चिम नहीं, केवल भारत ही चीन को ले सकता है, रागा ने कमल को बताया

चेन�?नई। अभिनेता-राजनेता कमल हासन द�?वारा कांग�?रेस नेता राह�?ल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात�?रा’ के लि�? समर�?थन व�?यक�?त करने के क�?छ दिनों बाद, पार�?टी के कार�?यकर�?ताओं और आम जनता को ज�?टाने के लि�? �?क जन आंदोलन, दोनों ने राजनीति, लोगों, कृषि – और निश�?चित रूप से फिल�?मों पर चर�?चा करने के लि�? समय लिया।

16 सप�?ताह से अधिक प�?राने अपने ‘लॉन�?ग मार�?च’ के बीच, राह�?ल कई लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिनमें आरबीआई के पूर�?व गवर�?नर रघ�?राम राजन जैसी क�?छ प�?रसिद�?ध हस�?तियां भी शामिल हैं। उनके नवीनतम अतिथि अभिनेता-राजनेता कमल हासन थे।

राजनीति पर राह�?ल की तरह की भावनाओं को प�?रतिध�?वनित करते ह�?�?, हासन ने कौशल विकास की आवश�?यकता और वैश�?विक प�?रतिस�?पर�?धा का म�?काबला करने के लि�? सौहार�?द बना�? रखने पर जोर दिया।

राह�?ल ने कमल का �?क तोहफे के साथ स�?वागत किया — �?क बाघ की पानी पीते ह�?�? तस�?वीर — उनके फोटोग�?राफर भतीजे द�?वारा खींची गई, उनकी त�?लना �?क बड़ी बिल�?ली से की। बातचीत के अंश:

गांधी-द�?वेषी से लेकर ‘हे राम’ बनाने तक:

‘भारतीय’ अभिनेता ने स�?वीकार किया कि वह �?क किशोर के रूप में गांधीजी को नापसंद करते थे, लेकिन उनके कांग�?रेसी पिता इस पर उनसे कभी बहस नहीं करते थे। लेकिन उन�?होंने ख�?द को यह सीखने में लगा दिया कि गांधी वास�?तव में कौन थे जब वह 24-25 साल के थे।

उन�?होंने कहा कि नेता के लि�? उनका सम�?मान और प�?रशंसा तेजी से बढ़ी, जिसके कारण उन�?होंने ‘हे राम’ (2000) बनाई, �?क �?सी फिल�?म जिसे कमल ‘बापू से उनकी माफी’ कहते हैं।

नफरत और ‘तमिल विचार’ पर:

कमल और राह�?ल गांधी इस बात पर सहमत थे कि मित�?रता आदर�?श है और नफरत को केवल सिद�?धांतित किया जा सकता है। वायनाड के सांसद ने घृणा को “अंधापन और गलतफहमी” के रूप में वर�?णित किया, जबकि कमल ने गांधी की मृत�?य�? का जिक�?र करते ह�?�? हत�?या को घृणा का �?क सस�?ता रूप बताया, जिसकी उपयोगिता केवल कायरों के लि�? है। तमिलों द�?वारा विचारों की भाव�?क अभिव�?यक�?ति से प�?रभावित होकर, राह�?ल ने कमल से तमिल लोगों की प�?रेरक शक�?ति के बारे में पूछताछ की। अभिनेता ने जवाब दिया कि तमिलनाड�? सदियों से य�?द�?धों से कठोर रहा है और इसने बौद�?ध और जैन धर�?म की शिक�?षाओं को भी शामिल किया है।

उन�?होंने कहा कि तमिल अपनी भाषा को वैसे ही प�?यार करते हैं जैसे दूसरी भाषा�?ं बोलने वाले लोग करते हैं। तमिलनाड�? को �?क द�?वीप के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, तमिलों ने कई मौकों पर सरकारों का विरोध किया है जब उनकी आवाज नहीं स�?नी गई लेकिन इसका मतलब भारत का विरोध नहीं है, उन�?होंने कहा।

उन�?होंने कहा, “मेरे देश में, अगर आप ‘गांधी’ को ‘नेहरू’ या ‘बोस’ कहें तो कोई न कोई पलट जा�?गा।” कमल ने कहा कि कृषि के प�?रति मौजूदा सरकार की उपेक�?षा ने भी राज�?य के लोगों को निराश किया है।

चीन पहेली और आलोचना�?�?:

जब कमल ने चीन-भारत सीमा के मौजूदा म�?द�?दों पर राह�?ल की राय मांगी, तो राह�?ल ने चीनी घ�?सपैठ से पी�?म मोदी के इनकार के परिणामों को गिनाया, जो उन�?होंने कहा, भारत-चीन वार�?ता के उद�?देश�?य को कमजोर कर सकता है।

उन�?होंने कहा, “स�?रक�?षा के प�?रति वैश�?विक दृष�?टिकोण की कमी के कारण चीनी नीति में सरकार की गलत गणना ह�?ई है।” दोनों ने वैश�?विक च�?नौतियों का सामना करने के लि�? �?क मजबूत अर�?थव�?यवस�?था और �?कज�?ट आबादी की आवश�?यकता पर जोर दिया। राह�?ल ने कहा कि मोदी के नेतृत�?व वाली भाजपा सरकार ने जो विभाजनकारी स�?थिति पैदा की है, वह भारत को सैन�?य और आर�?थिक दोनों मोर�?चों पर चीन से म�?काबला करने का मौका दे रही है। राह�?ल ने कहा, ‘अकेले भारत चीन का म�?काबला कर सकता है पश�?चिम का नहीं।’

यूक�?रेन-रूस विवाद की त�?लना करते ह�?�? राह�?ल ने कहा कि भारत में भी �?सी ही स�?थिति पैदा हो सकती है, क�?योंकि चीन की हरकतें ‘भारत का नक�?शा बदलने’ के खतरे के समान हैं। आलोचनाओं पर सरकार की प�?रतिक�?रिया पर कमल ने कहा कि भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर�?ष को छूने के बावजूद राजशाही की यादों के साथ अभी भी �?क य�?वा लोकतंत�?र है।

‘कौशल विकास अगला सत�?याग�?रह है’:

उदाहरण के तौर पर अपने पेशे को लेते ह�?�?, कमल ने भारत में अप�?रय�?क�?त प�?रतिभा के बड़े पूल पर खेद व�?यक�?त किया। उन�?होंने कहा, “�?क फिल�?म में 200 तकनीशियन काम कर सकते हैं, लेकिन उसके लि�? कोई आईटीआई नहीं है।”

उन�?होंने कहा कि कौशल विकास अगला सत�?याग�?रह होगा। राह�?ल ने कहा कि ‘गलत तरीके से लागू किया गया जी�?सटी’ और नोटबंदी बेल�?लारी में जींस हब जैसे औद�?योगिक क�?षेत�?रों को परेशान कर रहे थे।

राजनीति में लोगों को शामिल करने के महत�?व पर बात करते ह�?�?, कमल ने कहा कि म�?द�?दों और शिकायतों को उठाने के लि�? मंचों की आवश�?यकता है ताकि राजनेताओं को यह सम�?ा जा सके कि राजनीति केवल ‘संख�?या क�?रंचिंग’ के बारे में नहीं है।


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