32 साल से बिना पानी के खेती, उत�?पादन भी बंपर मिला लाभ

भोपाल न�?यूज़: बिना सिंचाई के खेती को संभव बनाने के लि�? इंदौर के कृषि कॉलेज में वर�?षों से जारी रिसर�?च सफल ह�?ई है. यहां जमीन के �?क हिस�?से में 32 साल से बिना पानी के खेती हो रही है. उत�?पादन भी सिंचित खेती से ज�?यादा होने लगा है. खास बात यह है कि इन वर�?षों में यहां रासायनिक दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया. इससे मिट�?टी में ऑर�?गेनिक कार�?बन की मात�?रा बढ़ी है. इस तरह की खेती पर रिसर�?च भारत सरकार के ड�?राई लैंड प�?रोजेक�?ट के तहत हो रही है.

यह होगा फायदा: इंदौर के कृषि वैज�?ञानिकों की रिसर�?च से देश के वर�?षा आधारित क�?षेत�?रों में सूखे के समय भी खेती होने लगेगी. मालूम हो, कृषि कॉलेज की जमीन के 70 फीसदी हिस�?से में रिसर�?च हो रही है. कृषि आधारित कई परियोजनाओं पर काम होता है. इनमें से �?क भारत सरकार का ड�?राई लैंड प�?रोजेक�?ट है. वर�?ष 1970 से कृषि वैज�?ञानिकों ने जमीन के �?क हिस�?से पर इस दिशा में काम श�?रू किया, जो अब तक जारी है.

रिसर�?च के लि�? जमीन को 9 हिस�?सों में बांटा गया है. यहां 32 साल से सिंचाई नहीं ह�?ई है. वर�?षा आधारित नमी में सालभर उपज ली जाती है. सोयाबीन का उत�?पादन बिना पानी के 23 क�?विंटल प�?रति हेक�?टेयर आया है, जो सिंचित जमीन में 14 क�?विंटल प�?रति हेक�?टेयर तक रहता है. चने की खेती में पिछले साल 14 क�?विंटल प�?रति हेक�?टेयर का उत�?पादन मिला है. इस पद�?धति में खेती के खर�?च में 80 प�?रतिशत बचत हो रही है.

प�?रोजेक�?ट में �?से होता है काम: ड�?राई लैंड प�?रोजेक�?ट के प�?रभारी व म�?ख�?य वैज�?ञानिक डॉ. भरत सिंह ने बताया, इस पद�?धति में फसल कटने के त�?रंत बाद ज�?ताई कर अगली बोवनी करते हैं. इससे जमीन की नमी में बीज अंक�?रित हो जाते हैं. हर 15 दिन में मिट�?टी की नमी की जांच होती है. इस पद�?धति से कई साल से काम होने के कारण मिट�?टी में कार�?बन का प�?रतिशत बढ़ता है और सालभर नमी बनी रहती है.


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