हर मौके का फायदा उठाना: वह व�?यक�?ति जिसने गोवा के ऑपरेशन व�?हाइट फ�?लड का नेतृत�?व किया
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जनता से रिश�?ता वेबडेस�?क। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सी�?मआईई) की इस साल की रिपोर�?ट के म�?ताबिक, गोवा में बेरोजगारी दर राष�?ट�?रीय औसत से काफी ऊपर है।
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सरकार को �?क ही सरकारी पद के लि�? हजारों आवेदन प�?राप�?त होते हैं, और इससे भी ब�?री बात यह है कि न केवल अक�?शल य�?वा बेरोजगार हैं, बल�?कि क�?शल और उच�?च शिक�?षित य�?वा भी हैं जो लाभकारी रोजगार पाने के लि�? दर-दर भटक रहे हैं।
यह �?क सच�?चाई है कि गोवा के य�?वा सफेदपोश नौकरियों की आकांक�?षा रखते हैं। अगर इस प�?रवृत�?ति की शिथिल व�?याख�?या की जा�?, तो हिंदू गोवा के य�?वा सरकारी नौकरियों को प�?राथमिकता देते हैं, जबकि कैथोलिक य�?वा बेहतर जीवन के लि�? विदेशी नागरिकता के लि�? जहाजों पर, आतिथ�?य उद�?योग में, या अपनी भारतीय नागरिकता में व�?यापार का चयन करते हैं।
शायद ही कोई य�?वा व�?यवसाय में र�?चि दिखाता है, क�?योंकि यह �?क जोखिम भरा प�?रस�?ताव है। यहां तक कि सरकार द�?वारा खेती को बढ़ावा देने के लि�? विभिन�?न योजना�?ं और अवसर प�?रदान करने के बावजूद, शायद ही कोई लेने वाला हो क�?योंकि कृषि और पश�?पालन की अप�?रत�?याशित प�?रकृति अपने आप में �?क बाधा है।
कंकोलिम के स�?रेंद�?र देसाई हालांकि गोवा के य�?वाओं के लि�? �?क प�?रेरणा हैं। देसाई ने सरकारी नौकरियों का पीछा नहीं किया या विदेश में छोटा काम करने का विकल�?प नहीं च�?ना, बल�?कि लीक से हटकर सोचा और दूध उत�?पादन में अपना साम�?राज�?य बनाया।
स�?रेंद�?र देसाई ने अपने पूर�?वजों के डेयरी फार�?मिंग के पेशे को अपनाया। बह�?त कम उम�?र में, देसाई ने गाय का दूध निकालना सीखा और गाय के गोबर और गोमूत�?र की मिट�?टी की स�?गंध के बीच बड़े ह�?�?। आज स�?रेंद�?र �?क सफल डेयरी किसान हैं, जिनका पूरा परिवार आकर�?षक व�?यवसाय में लगा ह�?आ है।
देसाई कहते हैं कि उन�?होंने दूध उत�?पादन के अलावा किसी और पेशे के बारे में कभी नहीं सोचा। कंकोलिम कभी कृषि और डेयरी फार�?मिंग के लि�? जाना जाता था, इसके विशाल, अविकसित और उपजाऊ भूमि के लि�? धन�?यवाद।
�?क य�?वा व�?यक�?ति के रूप में, स�?रेंद�?र देसाई ने कृषि के साथ-साथ डेयरी फार�?मिंग के कौशल भी सीखे। “उन दिनों, दूध के कारोबार के लि�? बह�?त कम ग�?ंजाइश थी। गोवा डेयरी मौजूद नहीं थी, और मैं ताजा गाय का दूध बेचने के लि�? घर-घर जाता था,” वह याद करते ह�?�? कहते हैं कि क�?छ चाय की द�?कानों और रेस�?तरां ने भी उनसे दूध खरीदा, लेकिन कई शर�?तों के साथ।
“गोवा डेयरी श�?रू होने से पहले उन दिनों दूध बेचना बह�?त म�?श�?किल काम था। कई बार ग�?राहक दूध की ग�?णवत�?ता को लेकर शिकायत करते हैं। व�?यवसाय का प�?रबंधन करना म�?श�?किल था क�?योंकि उस समय दूध की कीमत भी बह�?त कम थी,” देसाई कहते हैं।
�?क बार गोवा डेयरी श�?रू हो जाने के बाद, डेयरी फार�?मिंग �?क वास�?तविक व�?यवसाय बन गया, जिसका मतलब किसानों के लि�? आय का �?क वास�?तविक स�?रोत था। आज, डेसाई गोवा में अग�?रणी दूध उत�?पादक हैं। उसके पास व�?यक�?तिगत ग�?राहक हैं और वह गोवा डेयरी को भी बेचता है।
“यह सोचना गलत है कि डेयरी फार�?मिंग �?क सम�?मानित पेशा नहीं है। वास�?तव में, �?क व�?यवसाय के रूप में डेयरी फार�?मिंग के साथ �?क उच�?च जीवन स�?तर का आनंद ले सकते हैं,” डेसाई ने कहा।
उनका पूरा परिवार इस व�?यवसाय में लगा ह�?आ है और उनकी पत�?नी और बच�?चे उनके सभी प�?रयासों में उनका साथ देते हैं। उनके बच�?चे यह स�?वीकार करने से नहीं कतराते कि वे डेयरी फार�?मिंग में लगे हैं। जबकि उनकी बेटिया�? अत�?यधिक योग�?य हैं और उन�?होंने स�?नातकोत�?तर और कानून की डिग�?री पूरी कर ली है, वे दूध उत�?पादन में अपने पिता की मदद करने से नहीं हिचकिचाती हैं।
स�?रेंद�?र देसाई के पास सत�?तर से अधिक भैंस और गाय हैं। उनका वास�?तव में �?क परिवार द�?वारा संचालित उद�?यम है, जिसमें उनके परिवार के सभी सदस�?य दूध निष�?कर�?षण, दूध वितरण, सफाई, खाद और ईंधन के लि�? गाय के गोबर को इकट�?ठा करने, पश�?ओं की सफाई और उन�?हें खिलाने में लगे ह�?�? हैं।
स�?रेंद�?र स�?वीकार करते हैं कि डेयरी फार�?मिंग �?क मांगलिक पेशा है और उन�?हें बाहर जाने या आनंद के लि�? यात�?रा करने की स�?विधा नहीं देता है। उन�?होंने कहा, “लोगों को दूध की आपूर�?ति करना ख�?शी की बात है, क�?योंकि यह सही संत�?लित आहार है, जो मेरे ग�?राहकों को अच�?छा स�?वास�?थ�?य और ख�?शी देता है।”
“आज के य�?वा क�?यों दर-दर भटक रहे हैं और नौकरी के लि�? भीख मांग रहे हैं? आत�?मनिर�?भर बनने के लि�? �?क कदम आगे बढ़ें और �?क �?सा व�?यक�?ति बनें जो दूसरों को रोजगार प�?रदान करता है,” वह य�?वाओं को सलाह देते हैं।