ग�?र�? घासीदास टाइगर रिजर�?व में शिफ�?ट कि�? ग�? तीन नील गाय

बिलासप�?र। कानन पेंडारी जू में क�?षमता से अधिक नील गाय होने के कारण उन�?हें अन�?य अभयारण�?यों में छोड़ा जा रहा है। इसी क�?रम में कोरिया जिले के ग�?र�? घासीदास टाइगर रिजर�?व में तीन नील गाय शिफ�?ट कि�? ग�?। बेहोशी की दवा बेअसर होने के बाद इन�?हें पकड़ने के लि�? बोमा तकनीक का प�?रयोग किया गया है।

केंद�?रीय चिड़ियाघर प�?राधिकरण के मापदंडों के विपरीत कानन पेंडारी जू में नील गायों की संख�?या अधिक हो च�?की है। पिछले माह 65 चीतलों की शिफ�?टिंग अचानकमार टाइगर रिजर�?व में कर इनकी संख�?या कम की गई है। इसके बाद मांग आने पर तीन नील गाय कोरिया शिफ�?ट कि�? ग�? हैं।
नील गायों को बेंगलूर�? से मंगाई गई दवा�?ं दी गई थी लेकिन वे बेहोश नहीं ह�?�?। अचानकमार में शिफ�?टिंग के दौरान भी यही दिक�?कत आई थी। अब इसे बोमा तकनीक का प�?रयोग कर पकड़ा गया। इस तकनीक के तहत �?क वी आकार का बाड़ा तैयार किया जाता है, जिसके छोर में हरी घास और जाल बिछा दिया जाता है, जो परिवहन के लि�? रखे ग�? वाहन तक पह�?ंचता है। दक�?षिण अफ�?रीका में यह तकनीक पहले से काम लाई जाती है। पिछले वर�?ष केंद�?रीय जू प�?राधिकरण ने इसका इस�?तेमाल करने की अन�?मति भारत में भी दे दी है। हालांकि, बेहोश करके शिफ�?टिंग करने में कम समय लगता है, जबकि इस तकनीक में वन�?यप�?राणी को खदेड़कर बाड़े तक पह�?ंचाने में समय लगता है।