अंतिम प्रदोष व्रत , इस आरती से करें भगवान शिव पूजा

ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आता है। अक्टूबर का आखिरी प्रदोष व्रत आज यानी 26 अक्टूबर दिन गुरुवार को किया जा रहा है। प्रदोष व्रत के दिन गुरुवार पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है।

पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अक्टूबर का अंतिम प्रदोष व्रत है। इस दिन भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की अपार कृपा बरसती है और कष्ट दूर हो जाते हैं लेकिन अगर आप शिव को शीघ्र प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी प्रिय आरती पूजा के दौरान जरूर पढ़ें तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव शंकर की आरती।
भगवान शिव की आरती—
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
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