नवरात्रि पर जानिए नौ दिनों से जुड़े बड़े अंधविश्वास

नवरात्रि से जुड़े बड़े अंधविश्वास :सनातन धर्म में वैसे तो पर्व त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन देवी साधना को समर्पित नवरात्रि बेहद ही खास मानी जाती है जो इस साल 15 अक्टूबर से आरंभ हो चुकी है और इसका समापन 23 अक्टूबर को हो जाएगा।

नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक चलता है और इस दौरान भक्त देवी मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की साधना आराधना में लीन रहते हैं और व्रत पूजा पाठ भी करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की असीम कृपा बरसती है नवरात्रि के पर्व को देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है ऐसे में आज हम आपको नवरात्रि से जुड़े अजीबो गरीब मान्यताओं और अंधविश्वासों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

 

नवरात्रि से जुड़े बड़े अंधविश्वास—
नवरात्रि में वैसे तो हर भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए उनकी भक्ति में लीन रहते हैं लेकिन राससेन जिले में भक्त नौ दिनों तक माता की भक्ति करने के बाद जब ज्वारे विसर्जन करने आते हैं तो इस दौरान भक्त लोहे का बना त्रिशूल अपने गाल और जीभ में छेदकर धारण करते हैं भक्त इसे माता की शक्ति मानते हैं जिस कारण इनके गाल में ना तो कोई धाव होता है और ना ही लहु बहता है और किसी प्रकार का दर्द भी नहीं होता है। कहते हैं कि इस दौरान न तो उन्हें किसी दवा की जरूरत पड़ते हैं बस वे केवल भावूत लगाकर अपने घाव को भर लेते हैं और इसके निशान भी मिट जाते हैं।

 

मान्यता है कि नवरात्रि के अंतिम दिनों में भक्त हर साल अलग अंदाज में भक्ति में डूब कर माता का विसर्जन करते हैं। इसके अलावा रायसेन जिले के पंडा और भक्तों का यह मानना है कि यहां माता की शकित का प्रताप है और यह कई पीढ़ियों से चला आ रहा है। यहां पर भक्त वान धारण करते हुए नाचते भी हैं पर उन्हें किसी प्रकार का दर्द व समस्या नहीं होता है।

इसके अलावा एक ऐसी जगह है जहां पर महिलाएं पति की लंबी आयु और उस पर आने वाले संकट को टालने के लिए कुछ दिनों तक विधवा का जीवन जीती है। आपको बता दें कि गछवाहा समुदाय जो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया और बिहार में है यहां की मान्यता है कि इस समुदाय के लोग तरकुलहा देवी की पूजा आराधना करते हैं इस समुदाय की महिलाएं रामनवमी से लेकर नागपंचमी तक विधवा की तरह जीवन जीती है। इसके बाद नाग पंचमी पर महिलाएं देवी के मंदिर आकर अपनी मांग भरती हैं और सभी सुहाग चिह्नों को धारण करती है माना जाता है कि ऐसा करने से पति के जीवन पर आने वाला संकट टल जाता है साथ ही लंबी आयु का वरदान मिलता है।

महाराष्ट्र के शोलापुर और कनार्टक के इंदी स्थित श्री संतेश्वर मंदिर में लोग अपने बच्चों की तकदीर बनाने के लिए उन्हें ऊंचाई से नीचे फेंकते हैं ओर नीचे उसे चादर में पकड़ लिया जाता है इस परंपरा को करने के पीछे यह मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सेहतमंद होती है साथ ही परिवार का भाग्योदय भी होता है।

हर माता पिता चाहते हैं कि उसकी संतान सुंदर और गुणवान हो इसके लिए वह कई तरह के जतन भी करते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी और मिर्जापुर में कराहा पूजन की एक अनोखी परंपरा है जिसमें पिता खैलते दूध से बच्चे को स्नान करवाते हैं और बाद में खुद भी स्नान करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 


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