बस इतनी सी आरजू है दोनो तरफ, कि वो पहले कहेंगे या मै बोल दूं…

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

किसी शायर ने कहा है कि- बस इतनी सी आरजू है दोनो तरफ, कि वो पहले कहेंगे या मै बोल दूं। लगता है इस शेर पर राजनीतिक दल चल रहे हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बिगुल बजे करीब 15 दिन हो चुके हैं। मौजूदा कांग्रेस सरकार और भाजपा ने भी ने पूरे 90 सीटों के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। जबकि जोगी काँग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी, जोहार छत्तीसगढ़ जैसे दले अभी भी उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं। जहां तक प्रदेश में जनता कांग्रेस (जोगी), आम आदमी पार्टी औऱ बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना पार्टी ने भी सभी 90 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए है। हालांकि दूसरे चरण के नामांकन प्रक्रिया भी 21 अक्टूबर से शुरू हो चुका है और कल अंतिम तिथि है। जहां तक घोषणा पत्र की बात है तो जोगी कांग्रेस ने जिस तरह गरीब, किसान, श्रमिकों, महिलाओं और युवाओं को लुभाने के प्रयास करने के साथ शपथ पत्र भी स्टाम्प पेपर में जारी किया है। लेकिन प्रदेश में 15 साल तक सरकार चलाने वाले भाजपा ने अभी तक घोषणा या वचन पत्र जारी नहीं किया है तो मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भी अभी तक संकल्प पत्र जारी नहीं किया है। इन दोनों दलों के घोषणा पत्र पर किसान के अलावा बड़ी संख्या में नॉकरी पेशे से जुड़े कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, अनियमित कर्मचारी, महिलाएं, युवाओं की नजर टिकी हुई है। इसके बावजूद कांग्रेस ने लगातार मास्टर स्ट्रोक लगाकर किसान, आदिवासी और युवाओं को अपनी ओर खींचने के लिए आम सभा व रैली में घोषणा कर दिए हैं। डॉ चरण दास महंत के क्षेत्र में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने किसानों के पुन: कर्ज माफी करने की घोषणा, राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कल एक आम सभा मे तेंदूपत्ता बोनस 4000 रुपये और केजी से पीजी तक सरकार में आते ही निशुल्क शिक्षा देने की घोषणा की हैं। वैसे भी छत्तीसगढ़ में धान और किसान के बिना चुनाव वैतरणी पार करना मुश्किल ही लग रहा है। इसके बावजूद दोनों बड़े दलों ने अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। नाम न छापने के शर्त पर कर्मचारी संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा है कि जो दल हमारी मांगो और जरूरत पर ध्यान देगी उसे ही समर्थन किया जाएगा । उसी तरह एक वरिष्ठ किसान नेता का कहना है कि किसान और आदिवासी के बिना छत्तीसगढ़ का चुनाव अधूरा है। उन्होंने कहा कि इन दोनों वर्ग को साधने के साथ अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है, ऐसे में इन दोनों दलों के संकल्प पत्र को देखना होगा कि किसान, आदिवासी और पिछडे वर्ग के लोगो के हित के लिए क्या घोषणा करती है। बिहार में जिस तरह जातिगत आरक्षण जनगणना जारी हुआ है और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा की जा रही है।

किसान, एससी/एसटी के बाद अब ओबीसी को भी साधना होगा

लगातार राहुल गांधी ओबीसी को लेकर मुखर है, उन्होंने घोषणा भी की है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनाते ही जातिगत जनगणना कराया जाएगा। ऐसे में छत्तीसगढ़ में कुर्मी, साहू के अलावा बड़ी संख्या में देवांगन, पनिका, धोबी, सेन, निषाद, राजवाड़े, धीवर, विश्वकर्मा, कलार, यादव, मानिकपुरी, पटेल, लोधी, मरार आदि निवासरत हैं।

सबसे बड़ा वोट बैंक

पिछड़े वर्ग के एक सामाजिक नेता का कहना है कि पिछड़े वर्ग में सिर्फ तेली, कुर्मी ही नहीं है बल्कि बहुत सारे जाति के लोग हैं। लेकिन उन्हें राजनीतिक, सामाजिक, शिक्षा, आर्थिक, प्रशासनिक लाभ नहीं मिला है। जिसके कारण इनकी आर्थिक, सामाजिक स्तर बहुत ही कमजोर है। सिर्फ अन्य पिछड़े वर्ग में आने वाले कुछ ही जातियों को हर मामले में लाभ मिला है जबकि अन्य लोग आज भी हाशिये पर हैं। उनका कहना है प्रदेश के इन दोनों प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस ने सिर्फ पिछड़े वर्ग में आने वाले कुछ जातियों को ही अवसर देते हैं, उन्हें ही सबसे बड़ा वोट बैंक समझते हैं, उनके हर कार्यक्रम में इन दलों के शीर्ष नेता पहुंचते है, जबकि अन्य समाज के लोग मन मारकर अपने को कोसते रहते हैं।

धनबल, जनबल को ही महत्व

अन्य पिछड़े वर्ग से आने वाले जातियों के नेताओं में हुंकार भरते हुए कहा है कि प्रदेश में सबको महत्व मिलना चाहिए। यह लोकतंत्र है। सिर्फ जिनके पास धन, जन और बल हो उसे ही महत्व दिया जा रहा है, ऐसे में सशक्त लोकतंत्र कैसे होगा। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के मुखिया अमित बघेल ने नारा दिया है जात-पात के करव बिदाई, छत्तीसगढ़ी सब भाई-भाई। अब सवाल यही है कि जिन जातियों की जनसंख्या, कम है तो क्या उनको राजनीतिक लाभ नहीं मिल पाएगा? ऐसे में कांग्रेस और भाजपा सहित सभी दलों के समझना होगा कि अन्य पिछड़े वर्ग से आने वाले उन जातियों को भी महत्व दिया जाए।इस विषय पर सभी दलों खासकर कांग्रेस और भाजपा दल के वरिष्ठ नेतृत्व को समझना होगा…! अभी तक दोनों प्रमुख दलों ने घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। लगता है पहले आप-पहले आप के पद चिन्ह पर चलते हुए इन दोनों दल ने जारी नहीं किया है। सबकी नजर इन घोषणा पत्रों पर टिकी है!

विजय शर्मा भूपेश झन बनय

घोषणा पत्र यानी पार्टी और प्रत्याशी के लिए अस्त्र शस्त्र होता है, बिना घोषणा पत्र के चुनाव मैदान में जाना उसी प्रकार होता है जैसे बिना हथियार के युद्ध के मैदान में जाना । घोषणा पत्र जारी नहीं होने से प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ गई है। वो अपनी मर्जी से कुछ भी घोषणा कर पार्टी की किरकिरी करने के साथ अपनी भी किरकिरी करवा रहे है। लोगों से बातचीत के दौरान कह दिया कि किसानों के 3-3 लाख कर्ज माफी होगी। जिसकी शिकायत घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष तक पहुंच गई। विजय बघेल ने विजय शर्मा को नसीहत देते हुए कहा कि भूपेश बघेल झन बनव भाई मय हर घोषणा समिति के अध्यक्ष हवव मोरो ले राय ले लो। तब कुछु कहव।


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