यौन शोषण से गर्भवती हुई 16 साल की लड़की, अदालत ने तत्काल दिया ये आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन शोषण से गर्भवती हुई 16 साल की किशोरी के प्रति चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने पीड़िता का तत्काल मेडिकल कराने के आदेश दिए हैं। पुलिस और अस्पताल प्रशासन की खामी की वजह से किशोरी के गर्भ में 25 सप्ताह का भ्रूण है। हाईकोर्ट ने गर्भ की जांच के लिए तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित करने और तुरंत रिपोर्ट तैयार कर 24 घंटे में गर्भपात करने को कहा।

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने गुरु तेग बहादुर अस्पताल प्रशासन को कहा कि यदि गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन के प्रयासों के बावजूद बच्चा जीवित पैदा होता है तो गुरु तेग बहादुर अस्पताल के अधीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़िता और बच्चे को वह सब कुछ दिया जाए, जो संभव और व्यवहार्य है। पीड़िता के साथ बच्चे की दवाई, खाने और अन्य जरूरतों का जिम्मा सरकार को उठाना होगा। बेंच ने अस्पताल अधीक्षक को आदेश दिया है कि 24 घंटे के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए। वहीं, अन्य पक्षकारों को एक महीने में हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।
बेंच ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के चिकित्सीय गर्भपात को लेकर डॉक्टरों और पुलिस द्वारा उसके निर्देशों का पालन नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की ऐसी गलतियां नाबालिगों के शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के गर्भवती होने और उसके द्वारा 25 महीने के गर्भ को गिराने की अनुमति मांगने के मामले में जनवरी में दिशा-निर्देश दिए थे।
इस मामले में अस्पताल प्रशासन और पुलिस की तरफ से लापरवाही बरती गई। इस बीच किशोरी का गर्भ 25 सप्ताह का हो गया। बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि 16 वर्षीय पीड़िता के माता और पिता दोनों की मौत हो चुकी है। वह अपनी आंटी के साथ रहती है।
बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा कि पीड़िता अगस्त में गुरु तेग बहादुर अस्पताल गई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने बगैर अदालती आदेश के गर्भ की जांच से इनकार कर दिया। सब जगह से निराश होकर उसे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। बेंच ने सरकार को निर्देश दिए कि पुलिसकर्मियों को ऐसे मामलों में तत्काल कदम उठाने के लिए प्रशिक्षण दें।