मौसम में उतार-चढ़ाव ने मरीजों की संख्या 25 तक बढ़ाई

हिसार: सफदरजंग अस्पताल में बाल रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरीश चेलानी के मुताबिक, तापमान में बदलाव से वायरल निमोनिया हो सकता है. अस्थमा से पीड़ित बच्चों की दिक्कत बढ़ सकती है. आने वाले दिनों में जब स्थिति खराब हो तो शिशु को भीड़भाड़ वाली जगहों में ले जाने से बचें. अगर बच्चे को वायरल जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो उन्हें स्कूल न भेजें.
ये बातें जरूर जान लें
● वायरल में एंटीबायोटिक दवाएं न लें. ये वायरल पर असर नहीं करतीं
● बुखार आने पर तीन दिन बाद ही खून की जांच कराएं
● गले में खराश होने पर गर्म पानी से गरारा करें और गर्म पानी ही पीएं, तरल पदार्थ लेते रहें
राजधानी में पिछले कुछ दिनों से तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव की वजह से अस्पतालों की ओपीडी में वायरल बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या से 25 फीसदी तक बढ़ गई है. चिकित्सकों का कहना है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण स्तर बढ़ने एवं तापमान में अंतर आने से मरीजों की संख्या और भी बढ़ सकती है. प्रमुख संवाददाता की रिपोर्ट…
अस्थमा अटैक आने पर क्या करें
प्रोफेसर नीरज निश्चल के मुताबिक, सहज-तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें और कपड़ों को ढीला कर दें. इसके बाद इनहेलर का इस्तेमाल करें. यदि दवा लेने के पांच मिनट में आराम नहीं होता है तो दोबारा दवा की डोज लें. यदि फिर भी आराम नहीं होता तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
प्रतिरोधक क्षमता पर असर
एम्स में मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने बताया कि जब तापमान में बदलाव होता है तो लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. इससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. फिलहाल अस्थमा और बीपी के मरीजों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. फिलहाल अस्पतालों में बुखार, जुकाम और फ्लू के साथ सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है.

निमोनिया के लक्षण
● बच्चे को बुखार और पसीना आना
● आमतौर पर अस्वस्थ दिखना
● भूख न लगना
● सांस फूलना (सांस लेने पर मोटी, सीटी जैसी आवाज आना)
● होंठ और उंगलियों के नाखून नीले होना
ये होती हैं परेशानियां
● तेज बुखार
● सर्दी के साथ बुखार आना
● गले में खरास और दर्द
● तेज सिर दर्द
● उल्टी-दस्त
● सर्दी-जुकाम
● खांसी और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना
● एलर्जी, छींके आना
प्रदूषण से सावधानी बरतें
● एयर क्वालिटी इंडेक्स 150 से ज्यादा होने पर खेलने से बचें
● प्रदूषण स्तर 0 से ज्यादा होने पर पार्क में दौड़ने से भी परहेज करें
● जब प्रदूषण स्तर 300 से ज्यादा हो तो लंबी दूरी की सैर न करें
● प्रदूषण का स्तर 400 के पार हो तो घर में रहें. सामान्य सैर भी न करें