चयनितों को नियुक्ति पत्र नहीं देने पर जवाब तलब

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 72825 सहायक अध्यापकों के भर्ती मामले में चयनित 191 अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के बावजूद अब तक नियुक्ति पत्र नहीं देने के मामले में बेसिक शिक्षा परिषद और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को इस मामले में हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि किस कारण चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया.
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने विनय कुमार पांडेय व अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी और सरकारी वकील को सुनकर दिया है. चयनित अभ्यर्थियों का पक्ष रख रहे एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने 65 से 70 प्रतिशत अंक पाने वाले योग्य अभ्यर्थियों की सूची तैयार की. जिसमें 191 अभ्यर्थी चयनित हुए. उनकी काउंसलिंग भी करा ली गई लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया. उधर, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी कि कुल 66655 अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी गई है. इस जानकारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी. इसके बाद चयनित 191 अभ्यर्थियों में से कुछ अभ्यर्थी फिर सुप्रीम कोर्ट चले गए.

बयान की जांच किए बगैर समन विधि विरुद्ध
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि परिवाद में सीआरपीसी धारा 2(1)के तहत बयान दर्ज कर बिना जांच किए मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र के बाहर के अभियुक्त को सम्मन जारी नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि ऐसे अभियुक्त को सुनवाई का मौका देने के बाद ही सम्मन जारी किया जा सकता है. इसी के साथ कोर्ट ने एसीजेएम पीलीभीत द्वारा रामपुर निवासी दानिश खान के खिलाफ परिवादी मोहम्मद यूसुफ जमाल ़खान का बयान दर्ज कर सम्मन जारी करने के आदेश को विधि विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया है.
अधिकारियों की मनमानी से बढ़ रहा मुकदमों का बोझ
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुद्दा तय होने के बावजूद अधिकारियों की मनमानी से व्यर्थ की याचिकाएं आने पर नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा कि सरकारी मशीनरी तय मुद्दे पर ध्यान न देकर न्यायालय पर व्यर्थ के मुकदमों का बोझ डाल रही है. इसमें न केवल लोगों की शक्ति व धन खर्च हो रहा बल्कि बिना किसी उद्देश्य के सरकारी खजाना भी खर्च किया जा रहा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल रेप पीड़िता के बयान पर ही अभियुक्त को सजा दी जा सकती है बशर्ते बयान विश्वसनीय व सत्य प्रतीत होता हो. साथ ही पीड़िता के बयान का समर्थन मेडिकल व अन्य साक्ष्यों द्वारा भी होना चाहिए.
इसी के साथ कोर्ट ने शाहजहांपुर के गड़हिया रंगीन थानाक्षेत्र में गेहूं काटने खेत गई 15 वर्षीय पीड़िता से पिस्टल दिखाकर रेप के दो आरोपियों की उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है. साथ ही किसी अन्य केस में वांछित न होने पर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने अनमोल व पप्पू की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है. अपील पर अधिवक्ता ऋतेश सिंह व सुरेश सिंह ने बहस की.