‘सरकार न पैसा दे रही और न ही जगह’ , अदालत ने सुना दिया

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की अदालतें जगह की भारी कमी का सामना कर रही हैं। आलम यह है कि खुद न्यायाधीश इस परेशानी पर खुलकर बात करने लगे हैं। हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार फंड ही नहीं दे रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी प्रस्ताव पर मंजूरी नहीं दी है। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार है।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा का कहना है कि अगले साल तक 100 नए मजिस्ट्रेट तैयार हो जाएंगे, लेकिन किसी भी जिला कोर्ट में उन्हें तैनात करने के लिए जगह ही नहीं है। दरअसल, कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सबूत रिकॉर्ड करने के लिए स्थानीय आयुक्तों के लिए जगह की मांग की गई थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, ACJ मनमोहन ने कहा, ‘अगले साल तक 100 मजिस्ट्रेट तैयार हो जाएंगे और हमारे पास उन्हें लगाने के लिए जगह ही नहीं है। हमारे पार नई अदालतों के लिए जगह या फंड्स नहीं हैं। किसी भी जिला कोर्ट में एक इंच जगह नहीं है। दिल्ली सरकार न पैसा दे रही है और न ही जगह। हम बहुत कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे फंड जारी नहीं कर रहे।’
उन्होंने कहा, ‘प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं, राज्य की तरफ से कोई रुपया नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि हमारे पास रुपये नहीं हैं। किसी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल रही है। कोई काम नहीं चल रहा है। हम बहुत कोशिश कर रहे हैं…। पटियाला हाउस कोर्ट में कोई जगह नहीं है, राउज एवेन्यू में कोई जगह नहीं है। हालात बहुत गंभीर हैं। अगर वे हमें फंड्स दे दें, तो हम भवन तैयार लेंगे।’
रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता की ओर से अदालत पहुंचे वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट के साथ-साथ कई जिला न्यायालयों की तरफ से दाखिल हलफनामें का जिक्र किया। जिसमें जगह की कमी की बात कही गई थी। उन्होंने आगे कहा कि कुछ अदालतों ने सुझाव दिया है कि इस काम के लिए कुछ व्यवस्था की जा सकती है। इसपर कोर्ट ने कहा कि जगह देने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन किसी अदालत में कोई जगह नहीं है।
सुनवाई के दौरान एसीजे ने एक जिले की स्थिति का भी जिक्र किया। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि वहां मजिस्ट्रेट की टेबल पर फाइलों का ढेर लगा हुआ था, क्योंकि उन्हें रखने के लिए कोई जगह नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘पटियाला हाउस जाएं और मुझे बताएं कि जगह कहां है। कहीं भी जाएं। अगर आप कुछ जगह मिलती है, तो मैं वहां कुछ मजिस्ट्रेट और जजों को तैनात कर दूंगा।’
खास बात है कि अदालत ने दिल्ली सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के कहा है कि वे स्थानीय आयुक्तों की मांग के लिए जमीन और फंड मुहैया कराएंगे या नहीं। इस मामले पर दोबारा 1 दिसंबर को सुनवाई होगी।