सूर्योदय और सूर्यास्त कितने बजे होगा जाने

हिंदू धर्म में सूर्य को अर्घ्य देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के अर्घ्य को सूर्योघ्नहर्ता भी कहा जाता है। छठ पर्व आज से शुरू हो गया है. छठी मैया की पूजा के अलावा सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी धार्मिक महत्व है। आज सूर्यास्त का समय 17:26 बजे है. कल खरना है, इसे छठ पूजा का दूसरा दिन कहा जाता है. इस दिन सूर्योदय सुबह 6:46 बजे होगा. और सूर्यास्त सायं 5:26 बजे। इस समय विशेष पूजा भी की जाती है। छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य है। तीसरे दिन व्रती और उसके परिवार के सदस्य घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। 19 नवंबर को सूर्यास्त 17:26 बजे होगा. चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह व्रत समाप्त होता है। 20 नवंबर को सूर्योदय सुबह 6:47 बजे होगा।

पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को जल देना चाहिए। सूर्य देव को जल चढ़ाने से पहले उसमें अक्षत, रोली, फूल आदि डालें। फिर दोनों हाथों से लोटा लेकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। सूर्य को जल देते समय सूर्य देव के मंत्र का जाप करना चाहिए।
जल चढ़ाते समय आप इनमें से किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। आप चाहें तो अर्घ्य देने के बाद भी इस मंत्र को 108 बार दोहराएं। इससे आपके मन को मानसिक शांति मिलती है और एकाग्रता भी बढ़ती है।
आदित्य देव की पूजा: हिंदू धर्म में सूर्य को आदित्य देव के रूप में पूजा जाता है, जिन्हें जीवन का मध्यस्थ माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने से भक्ति भाव में वृद्धि होती है और व्यक्ति की आदित्य देव के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ती है।
प्रकृति पूजा : हिंदू धर्म में सूर्य को अर्घ्य देकर प्रकृति पूजा को बढ़ावा दिया जाता है। सूर्य को उनके धरती पर आने का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा से प्राकृतिक संतुलन बेहतर होता है।
स्वास्थ्य और दीर्घायु: सूर्य अर्घ्य का सेवन करने से स्वास्थ्य और दीर्घायु सुनिश्चित होती है। सूर्य की रोशनी और ऊर्जा का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए उन्हें अर्घ्य देने का अर्थ स्वास्थ्य की रक्षा करना भी है।
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा: सूर्य को अर्घ्य देने की प्रथा प्राचीन है और हिंदुओं की सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। इसे सूर्य पूजा का एक कार्य माना जाता है जिसका धार्मिक और सामाजिक कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बुद्धि और ज्ञान की प्रेरणा : सूर्य को ज्ञान का स्वरूप माना जाता है। उनके समक्ष अर्घ्य देने से उन्हें बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है।
धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के अनुसार यही सही मार्ग है। लेकिन कई हिस्सों में ये अलग हो सकता है. इसके अलावा, सूर्य देव की विशिष्ट पूजा के आधार पर सूर्य को अर्घ्य देने का तरीका अलग-अलग हो सकता है।