अप्राकृतिक सेक्स मामला: कोर्ट ने व्यक्ति की दोषसिद्धि बरकरार रखी, पर जेल की सजा घटाई

दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 2010 में एक नाबालिग लड़के के साथ दुराचार करने के मामले में कुलदीप सिंह की सजा को बरकरार रखा है, लेकिन उसकी जेल की सजा को तीन साल से घटाकर पांच महीने कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेफाली शर्मा ने सिंह की लगभग 13 वर्षों की लंबी सुनवाई अवधि, किसी भी पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड न होने और उसकी वंचित वित्तीय स्थिति पर विचार किया।

सिंह को दिसंबर 2019 में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने दोषी ठहराया था। उन पर आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और 342 (गलत तरीके से कारावास) के तहत आरोप लगाया गया था। इसके बाद अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायाधीश ने पीड़ित की गवाही की निरंतरता और स्पष्टता की ओर इशारा करते हुए मेट्रोपॉलिटन अदालत के फैसले को बरकरार रखा। पीड़िता ने आरोपी द्वारा किए गए अप्राकृतिक यौन संबंध के बारे में विस्तार से बताया और अदालत में उसकी सटीक पहचान की। मेडिकल साक्ष्य पीड़ित के विवरण से मेल खाते हैं, जिससे उसकी विश्वसनीयता मजबूत होती है।
इसके अलावा, अदालत ने आरोपियों द्वारा मुंह बंद कर दिए जाने और मदद मांगने में असमर्थ होने की पीड़ित की कहानी को भी स्वीकार किया। इस गैरकानूनी रोक के कारण अदालत ने पुष्टि की कि सिंह ने नाबालिग को गलत तरीके से बंधक बना लिया था। अदालत ने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं है जो पीड़ित बच्चे, उसके पिता की सच्चाई को खंडित कर सके या अभियोजन पक्ष के दावे को गलत साबित कर सके।” इसमें कहा गया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने आरोपियों को सही दोषी ठहराया है।
हालांकि अदालत ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन व्यापक सुनवाई अवधि और सिंह के पूर्व आपराधिक इतिहास की कमी के कारण सजा और जुर्माने में बदलाव करना जरूरी समझा। उनकी खराब हालात को ध्यान में रखते हुए अदालत ने सजा को संशोधित करते हुए पांच महीने की कैद, जो वह पहले ही हिरासत में बिता चुके थे, को दर्शाते हुए जुर्माने को 5,000 रुपये कर दिया।