प्रदेश में वर्ष 2022 की तुलना में इस साल की अवधि के दौरान सडक़ दुर्घटनाओं में 11 प्रतिशत की कमी

शिमला: हम वर्ष 2030 तक आरटीए और मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के हिस्से के रूप में घोषित किया गया है। सडक़ सुरक्षा सह-कार्य टीम लीडर विजेता बेजम की अध्यक्षता में विश्व बैंक की पांच सदस्यीय टीम ने पुलिस मुख्यालय में पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ सडक़ सुरक्षा पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में एचपीआरआईडीसीएल, परिवहन अनुसंधान प्रयोगशाला लंदन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2022 की तुलना में इस साल में एक जनवरी से 13 अक्तूबर, 2023 की अवधि के दौरान सडक़ दुर्घटनाओं में 11 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा हादसों में होने वाले मृत्यु दर में 17 प्रतिशत की कमी और चोटों में 13 प्रतिशत की कमी आई है। सडक़ की लंबाई में 10 प्रतिशत की वृद्धि, सालाना वाहन पंजीकरण में 9 प्रतिशत की वृद्धि और पर्यटकों की लगातार बढ़ती आमद के बावजूद हिमाचल पुलिस ने यह उपलब्धि हासिल की है।

पुलिस विभाग ने गहन विश्लेषण के न्यूयॉर्क पुलिस विभाग मॉडल पर आधारित एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जो दर्शाती है कि जनसंख्या और वाहन संख्या दोनों के मामले में सडक़ सुरक्षा राष्ट्रीय औसत से खराब है। प्रति लाख जनसंख्या पर 29.30 आरटीए के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले, हिमाचल प्रदेश में 31.54 की उच्च दर थी। इसी प्रकार, प्रति लाख जनसंख्या पर आरटीए में मृत्यु के मामले में हिमाचल की दर 10.93 के मुकाबले राष्ट्रीय औसत 13.77 अधिक है।
वाहनों के संदर्भ में, भारत के लिए प्रति दस हजार वाहनों पर आरटीए 15.10 था, जबकि हिमाचल की दर 17.37 से अधिक थी। प्रति दस हजार वाहनों पर आरटीएएस में होने वाली मौतों के लिए राष्ट्रीय औसत 5.08 के मुकाबले, हिमाचल का औसत 6.93 से अधिक था। मौतों के गहन विश्लेषण के एनवाईडीपी मॉडल से पता चलता है कि 23 प्रतिशत मौतें आमने-सामने की टक्कर के कारण होती हैं, 22 प्रतिशत पैदल यात्रियों की टक्कर के कारण और 21 प्रतिशत सडक़ से भागने के कारण होती हैं। डीजीपी संजय कुंडू ने हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा अपनाए गए सडक़ सुरक्षा के उद्देश्यों को दोहराया और कहा कि हिमाचल पुलिस प्रदेश के आरटीए गंभीरता मानदंडों को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाने का प्रयास कर रहे हैं। विश्व बैंक टीम ने सडक़ सुरक्षा को प्राथमिकता बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2017 से 2022 तक सडक़ यातायात दुर्घटनाएं (आरटीए) 3114 से घटकर 2597, मृत्यु दर 1203 से घटकर 1032 और चोटें 5452 से घटकर 4133 हो गई हैं।