उप मुख्य पार्षदों के अधिकार में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा

पटना: राज्य सरकार प्रदेश के 261 नगर निकायों में चुनकर आए उप मुख्य पार्षदों के अधिकारों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं करेगी. इन्हें बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत दिए गए अधिकार ही मान्य होंगे. इसके अतिरिक्त कोई अन्य अधिकार नहीं दिये जाएंगे. राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने स्पष्ट कर दिया है.
विभाग की ओर से इसको लेकर सभी 19 नगर निगम, 88 नगर परिषद और 154 नगर पंचायतों के उप मुख्य पार्षदों को पत्र लिखा है. इसमें निर्वाचित उप-मुख्य पार्षद के अधिकारों के संबंध में स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट कर दी गई है. यह पत्र विभाग के अपर सचिव धर्मेन्द्र कुमार के स्तर से जारी किया गया है.
दरअसल, इस मामले को लेकर कुछ उप मुख्य पार्षदों ने विभाग से उनके कार्यक्षेत्र से जुड़े अधिकारों में वृद्धि करने की मांग की थी. इनका कहना था कि पहले उप-मुख्य पार्षदों का चयन पार्षदों के जरिए होता था. परंतु अब जनता सीधे अपने वोट के जरिए उप मुख्य पार्षदों का चयन कर रही है. इसलिए योजना का चयन या अनुमोदन करने, वित्तीय लेन-देन से संबंधित सहमति या परामर्श देने, संचिका या फाइल पर हस्ताक्षर, सशक्त स्थाई समिति या बोर्ड की बैठक की कार्यवाही प्रतिवेदन में अपना विचार देना या अंकित करने का अधिकार उप मुख्य पार्षदों को दिया जाए. हालांकि, अधिनियम में नगर निकायों की सशक्त स्थाई समिति की बैठक में मुख्य पार्षद की अनुपस्थिति में इसके संचालन का अधिकार उप-मुख्य पार्षद का होता है. निर्वाचित उप-मुख्य पार्षद इन अधिकारों को शामिल करने के लिए बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 में संशोधन करने की भी मांग कर रहे थे. परंतु सरकार ने इन सभी मांगों को खारिज करते हुए इन्हें अधिनियम में दिए गए अधिकार तक ही सीमित रखा है.

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बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा 26 में उप-मुख्य पर्षद के अधिकारों का उल्लेख किया गया है. जो निम्न है –
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● मुख्य पार्षद की अनुपस्थिति में नगरपालिका की बैठकों की अध्यक्षता उपमुख्य पार्षद करेंगे
● उपमुख्य पार्षद, मुख्य पार्षद के कार्य, अधिकार और अन्य कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे तब करेंगे, जब मुख्य पार्षद का पद मृत्यु, त्यापत्र दिए जाने या हटाए जाने या किसी अन्य कारण से रिक्त होने पर या मुख्य पार्षद के छुट्टी, बीमारी या अन्य कारणों से अपने पद की शक्तियों का प्रयोग करने कार्यों का संपादन करने या कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हों.
● उप मुख्य पार्षद किसी भी समय ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग करेंगे, ऐसे अन्य कार्यों का संपादन करेंगे तथा ऐसे अन्य कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे जो उन्हें इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रत्यायोजित की जाए.