अशांति का कोड

समान नागरिक संहिता के संदर�?भ में दो बिंद�?ओं पर विचार करने की आवश�?यकता है। पहला, क�?या भारत जैसे विविध राष�?ट�?र के लि�? �?करूपता वांछनीय है? दूसरा, क�?या हर धर�?म के पर�?सनल लॉ को मिले संवैधानिक संरक�?षण से छेड़छाड़ उचित है? विपक�?षी दलों ने यूसीसी पर �?क निजी सदस�?य के बिल के खिलाफ उग�?र ध�?र�?वीकरण के लि�? �?क खतरनाक चाल के रूप में विरोध किया। केंद�?रीय कानून मंत�?री ने जोर देकर कहा है कि इस संवेदनशील म�?द�?दे पर स�?प�?रीम कोर�?ट में रिट याचिका�?ं लंबित हैं। लेकिन यह आश�?वासन विपक�?षी दलों की आशंकाओं को दूर करने में विफल रहा।
क�?या धर�?म पर आधारित पर�?सनल लॉ राष�?ट�?रीय �?कता का अपमान हैं? संविधान के अन�?च�?छेद 44, भाग 4 में लिखा है, “राज�?य नागरिकों के लि�? �?क समान नागरिक संहिता स�?रक�?षित करने का प�?रयास करेगा …”। तब इसका उद�?देश�?य नागरिकों के व�?यक�?तिगत कानूनों को बनाना और लागू करना था जो जाति, धर�?म और यौन अभिविन�?यास के बावजूद हर भारतीय पर लागू होंगे। केंद�?र का तर�?क है कि बह�?त विलंबित यूसीसी विभिन�?न सम�?दायों को �?क सा�?ा मंच पर लाकर �?कीकरण की स�?विधा प�?रदान करेगा।
जबकि भारत में अधिकांश आपराधिक और नागरिक मामलों में �?करूपता है, अग�?रिम जमानत के कानून �?क राज�?य से दूसरे राज�?य में भिन�?न होते हैं। विशेषज�?ञों की राय है कि यदि संहिताबद�?ध दीवानी और फौजदारी कानूनों में बह�?लता है, तो पर�?सनल लॉ को भी हस�?तक�?षेप से म�?क�?त रहना चाहि�?। वास�?तविक आशंका�?ं हैं कि �?क यूसीसी अंततः �?करूपता और समानता के बारे में कम और अल�?पसंख�?यक और आदिवासी सम�?दायों के व�?यक�?तिगत कानूनों में अतिक�?रमण के बारे में अधिक होगा।
यदि संविधान निर�?माताओं का यूसीसी रखने का इरादा होता, तो वे व�?यक�?तिगत कानूनों को संघ सूची में शामिल करते, न कि समवर�?ती सूची में। यहां तक कि बी.आर. अम�?बेडकर का UCC के प�?रति �?क उभयभावी र�?ख था। उन�?होंने महसूस किया कि हालांकि वांछनीय, प�?रारंभिक अवस�?था में इसे “विश�?द�?ध रूप से स�?वैच�?छिक” रहना चाहि�?। आजादी के 75 साल बाद भी असमंजस बरकरार है।
राष�?ट�?रीय मानवाधिकार आयोग के अध�?यक�?ष, न�?यायमूर�?ति अर�?ण क�?मार मिश�?रा ने यूसीसी के कार�?यान�?वयन की वकालत करते ह�?�? कहा है कि यह मौजूदा धार�?मिक प�?रथाओं को परेशान नहीं करेगा और महिलाओं के लि�? समान अधिकार स�?निश�?चित करेगा। लेकिन क�?या यूसीसी वास�?तव में महिलाओं को भेदभाव से बचाने के लि�? स�?रक�?षा कवच है? भारत में, हिंदू धर�?म में विवाह को �?क संस�?कार माना जाता है; इस�?लाम में �?क अन�?बंध; पारसी धर�?म में अनिवार�?य पंजीकरण है। जो लोग क�?छ सम�?दायों की महिलाओं की म�?क�?ति के दिखावटी आधार पर इसकी मांग कर रहे हैं, उन�?हें बेहतर पता होना चाहि�?। �?क धर�?मनिरपेक�?ष नागरिक संहिता समय की आवश�?यकता हो सकती है, लेकिन मौजूदा व�?यवस�?था के समर�?थक अपने वैचारिक टैग को छोड़ने के इच�?छ�?क नहीं हैं। आदिवासियों के लि�?, �?क यूसीसी बह�?पतित�?व, बह�?विवाह और अन�?य प�?रथाओं सहित उनके रीति-रिवाजों पर सीधे प�?रभाव डाल सकता है।
केंद�?रीय गृह मंत�?री, अमित शाह ने दोहराया है कि भारतीय जनता पार�?टी की स�?थापना के समय से ही यूसीसी हमेशा �?जेंडे में रहा है और “धर�?म भूमि के कानून का आधार नहीं हो सकता है”। यदि UCC का उपयोग सभी नागरिकों पर प�?रतिगामी, उच�?च-जाति, हिंदू सांस�?कृतिक और धार�?मिक प�?रथाओं को लागू करने के लि�? ज़बरदस�?ती के �?क उपकरण के रूप में किया जाता है, तो इससे बड़े पैमाने पर विरोध हो सकता है। भारत की संकटग�?रस�?त उदार बिरादरी को इस संभावित लामबंदी की अग�?रिम पंक�?ति में होना चाहि�?।
जनता से रिश�?ता इस खबर की प�?ष�?टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध�?यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प�?रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश�?ता खबर की सच�?चाई को लेकर कोई आधिकारिक प�?ष�?टि नहीं करता है।

सोर�?स: telegraphindia