कर�?नाटक में बीजेपी के लि�? आगे क�?या रास�?ता

जैसा कि 2022 इतिहास का हिस�?सा बन गया है, कर�?नाटक में सार�?वजनिक जीवन का कोई भी पर�?यवेक�?षक जातिवाद में उछाल से चकित होगा। क�?छ लोग यह तर�?क दे सकते हैं कि यह सांप�?रदायिकता से कम ब�?राई है या कोई ब�?राई नहीं है। दोनों हमारे संविधान के धर�?मनिरपेक�?ष रूब�?रिक के खिलाफ हैं।

तथाकथित धर�?मनिरपेक�?षता का �?ंडा ब�?लंद करने वाले राजनीतिक दल उसी तरह जातिवाद के चरम रूपों में लिप�?त हैं, जिस तरह से समाजवाद हमारी पार�?टियों के लि�? शपथ ग�?रहण मात�?र बन गया है।
अगर बीजेपी पर देश में कहीं और, कर�?नाटक में म�?स�?लिम विरोधी सांप�?रदायिकता खेलने का आरोप लगाया जाता है, तो यह जाति आधारित राजनीति में लिप�?त �?क अन�?य राजनीतिक दल है। धर�?मांतरण विरोधी कानून को अपनाने का कदम, बेलगावी विधानसभा कक�?ष में वीर सावरकर के चित�?र का अनावरण, टीपू स�?ल�?तान को नीचा दिखाना या श�?रीरंगपटना में हन�?मान मंदिर के रूप में मस�?जिद की स�?थिति को बहाल करने की मांग पर नरम होना प�?रतीकात�?मक दावे प�?रतीत होते हैं पार�?टी के हिंद�?त�?व के र�?ख के बारे में।
जातिवाद पर सवाल उठाने वाले कांग�?रेस नेता सिद�?धारमैया हैं जो हाल ही में प�?राचीन भारत के “प�?रोफेसर” बन ग�? हैं और आर�?यों और द�?रविड़ों की बात कर रहे हैं। उन�?होंने डी�?मके के साथ �?क सा�?ा कारण बनाया है, जो दशकों से विभाजनकारी राजनीति में शामिल है और नस�?लीय विभाजन की बात कर रहा है। सिद�?धारमैया ने 2018 के विधानसभा च�?नावों से पहले वीरशैवों और लिंगायतों के बीच दरार पैदा करने के अपने प�?रयास से कोई सबक नहीं सीखा है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोई इस तरह के विभाजन को विश�?वास दे सकता है और इसे दूर नहीं किया जा सकता है … जाति-आधारित राजनीतिक विभाजनों का सामान निश�?चित रूप से 2023 के विधानसभा च�?नावों की सूचना देगा।
उदाहरण के लि�?, बासवराज बोम�?मई मंत�?रालय ने अन�?सूचित जातियों के बीच आंतरिक आरक�?षण प�?रदान करने पर निर�?णय लेने के लि�? मंत�?रियों की �?क समिति का गठन किया है। अन�?सूचित जातियों के बीच आंतरिक आरक�?षण होना चाहि�? और क�?रीमी लेयर को आरक�?षण व�?यवस�?था से बाहर रखा जाना चाहि�?, यह प�?रानी बात है। दशकों पहले, इलाहाबाद उच�?च न�?यायालय के पूर�?व न�?यायाधीश न�?यायमूर�?ति भीम राव लोक�?र और केंद�?रीय कानून सचिव की अध�?यक�?षता में भारत सरकार द�?वारा गठित समिति ने �?सी सिफारिश की थी।
अविभाजित आंध�?र प�?रदेश की सरकार द�?वारा इस तरह का निर�?णय लेने से बह�?त पहले की बात है। बोम�?मई सरकार अब न�?यायमूर�?ति �?जे सदाशिव की सिफारिशों पर काम कर रही है। सरकार की कार�?रवाई के समर�?थन में तथ�?य यह है कि सोच रखने वाली जनता के �?क वर�?ग ने महसूस किया है कि संपन�?न �?ससी को स�?थायी आरक�?षण से वंचित कर दिया जाना चाहि�?।
विधानसभा च�?नाव केवल छह महीने दूर हैं, सरकार पंचमशली को 2�? श�?रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर असमंजस में है क�?योंकि इसे 15 प�?रतिशत आरक�?षण दिया गया है। वर�?तमान में, वे श�?रेणी 3 में हैं जिनका 5 प�?रतिशत कोटा है। तदर�?थ निर�?णय लेने के बजाय, सरकार को इस मामले को राज�?य के स�?थायी पिछड़ा वर�?ग आयोग को संदर�?भित करना चाहि�?।
बीजेपी लिंगायत वोटों पर अपनी निर�?भरता कम नहीं कर सकती. यहां तक कि म�?ख�?यमंत�?री को बदलने की अटकलें लगाने वाले भी उनके उत�?तराधिकारी के रूप में लिंगायत नेताओं के नाम स�?�?ा रहे हैं।
भ�?रष�?टाचार और बीबी�?मपी ठेकेदारों द�?वारा 40 प�?रतिशत कमीशन के आरोप के म�?द�?दे ने पहले ही पार�?टी की छवि को धूमिल कर दिया है। बीजेपी, कांग�?रेस और जेडी�?स की तरह, भ�?रष�?टाचार की जांच करने में विफल रही है। विश�?वविद�?यालयों के क�?लपतियों की निय�?क�?ति में भ�?रष�?टाचार के आरोप चिंताजनक हैं। उम�?मीद की किरण है कर�?नाटक उच�?च न�?यायालय का फैसला जो भ�?रष�?टाचार निरोधक ब�?यूरो के गठन को रद�?द कर देता है और सिद�?धारमैया सरकार द�?वारा लोकाय�?क�?त का अवमूल�?यन करता है।
यदि भाजपा के मंत�?रियों ने भ�?रष�?टाचार के आरोपों को नकार दिया है, तो �?सा इसलि�? है क�?योंकि कई विपक�?षी नेता और विधायक स�?वयं इसकी गंध महसूस करते हैं। �?क �?से व�?यक�?ति के रूप में जिसने पिछले 50 वर�?षों में राज�?य में राजनीतिक परिदृश�?य का अवलोकन किया है, जिस तरह से हमारे क�?छ प�?राने नेताओं को आसनों पर बिठाया जा रहा है, उससे मैं चकित हूं। प�?लिस उपनिरीक�?षकों की भर�?ती, छायादार नेताओं को बोर�?डों, निगमों और शहरी निकायों के प�?रम�?खों के रूप में निय�?क�?त करने और भ�?रष�?ट अधिकारियों को महत�?वपूर�?ण पद देने आदि के मामले में सरकार ने ख�?द ही अपने घोर गलत कामों से विपक�?षी मिल को क�?चल दिया है।
बोम�?मई ने दिखाया है कि वह �?क नेक नेता हैं जो तथाकथित राष�?ट�?रीय और स�?थानीय दलों और राजनीतिक आंदोलनों द�?वारा स�?थापित जहरीली राजनीतिक संस�?कृति से घिरे ह�?�? हैं। केवल प�?रधान मंत�?री के करिश�?मे पर निर�?भरता और स�?वच�?छ प�?रशासन प�?रदान कि�? बिना नेतृत�?व बदलने से भाजपा अगले विधानसभा च�?नावों में कहीं नहीं जा�?गी।
क�?रेडिट: newindianexpress.com