संसद में सवाल बिका हुआ

By: divyahimachal  

जब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे, तब 11 सांसद आरोपित हुए थे कि वे नकद कबूल कर संसद में सवाल पूछते थे। प्रथमद्रष्ट्या सांसद भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए गए, नतीजतन स्पीकर ने उनकी सांसदी खारिज कर दी थी। उनमें भाजपा के सांसद भी थे। केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार थी और डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। इस मामले पर संसद के भीतर और बाहर खूब हंगामा मचा था। दरअसल वह एक मीडिया ऑपरेशन था, जिसमें छिपे कैमरे से वह भ्रष्टाचार रिकॉर्ड किया गया था। मामला सर्वोच्च अदालत तक पहुंचा, लेकिन उसने स्पीकर के संवैधानिक अधिकार और निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाएं स्वीकार नहीं कीं और सांसदी बहाल नहीं हो सकी। उन सांसदों में से शायद ही कोई सांसद नया चुनाव जीत कर लोकसभा में वापसी कर पाया था! स्पीकर का वह निर्णय एक उदाहरण बन गया। ऐसा ही मामला एक बार फिर स्पीकर ओम बिरला तक पहुंचा है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के गंभीर आरोप हैं कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा सदन में अडाणी समूह पर प्रायोजित सवाल पूछती रही हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद की संवेदनशीलता को दांव पर रखने वाला तथ्य यह है कि सांसद के तौर पर महुआ की ई-मेल आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल दुबई में बैठे उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी करते रहे हैं। वह ही अडाणी समूह पर सवाल बनाते रहे हैं और लोकसभा को महुआ के नाम से भेजते रहे हैं।

यह गोपनीयता और संसदीय सुरक्षा का घोर उल्लंघन है, लिहाजा अपराध भी है। अब लोकसभा की आचरण समिति इन आरोपों की जांच कर रही है। सांसद निशिकांत दुबे और महुआ दोनों से ही सवाल-जवाब किए जाएंगे। इस सांठगांठ का महत्त्वपूर्ण आयाम यह है कि उद्योगपति हीरानंदानी ने सांसद महुआ को 2 करोड़ रुपए नकद भी दिए। उनकी घरेलू और विदेश यात्राओं के खर्च उठाए। सांसद के नई दिल्ली स्थित सरकारी आवास की मरम्मत और उसका नवीकरण भी कराया। सरकारी आवासों में ऐसा काम सरकारी एजेंसियां ही करती रही हैं। फिर सांसद ने उद्योगपति से पैसा क्यों लगवाया? हीरानंदानी ने महुआ को बेशकीमती तोहफे भी दिए। संभव है कि दोनों औद्योगिक घरानों में व्यापार की प्रतिद्वंद्विता हो, लिहाजा सांसद के जरिए अडाणी समूह को बेनकाब किया जा रहा हो! उद्योगपति ने यह भी खुलासा किया है कि सांसद महुआ बेहद महत्त्वाकांक्षी हैं। उन्होंने अडाणी समूह को निशाना बनाया, लेकिन वह प्रधानमंत्री मोदी की छवि दागदार करना चाहती थीं। अडाणी से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज सांसद ने विपक्ष के अन्य नेताओं से भी साझा किए थे, ताकि प्रधानमंत्री के खिलाफ एक संगठित अभियान चलाया जा सके। हालांकि पार्टी प्रमुख एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इतना ‘अडाणी-विरोध’ के पक्ष में नहीं रही हैं, लिहाजा कई बार सांसद को डांट भी चुकी हैं। अब भी इस रहस्योद्घाटन पर ममता बनर्जी बिल्कुल खामोश हैं और विपक्ष का भी कोई महत्त्वपूर्ण बयान सामने नहीं आया है। तेज-तर्रार भाजपा सांसद ने यह शिकायत लोकपाल में भी दर्ज करा दी है।

लोकसभा सचिवालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने अपनी प्राथमिक जांच कर ली होगी कि आरोपित सांसद का ‘लॉग इन’ कहां से किया गया? वह देश के भीतर या विदेश में किस शहर, किस स्थान से इस्तेमाल किया गया? संचार की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी इनका आसानी से खुलासा कर सकती है। हम तृणमूल कांग्रेस की सांसद पर चस्पां किए गए आरोपों और उद्योगपति के साथ उनकी सांठगांठ, भ्रष्ट मिलीभगत की पुष्टि नहीं कर सकते, लेकिन मामला संसद से जुड़ा है। वह सार्वजनिक होकर आचरण समिति तक पहुंच गया है। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ आपराधिक साजिश का भी मामला है और संसदीय गोपनीयता भंग करने का कथित अपराध सामने आया है, लिहाजा हम विश्लेषण कर रहे हैं। आरोपित सांसद ने सभी सांसदों के ‘लॉग इन’ की जांच कराने की मांग भी की है। यह कुतर्क के अलावा कुछ भी नहीं है। हमें आचरण समिति के निर्णय की प्रतीक्षा करनी होगी।


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