गोपालगंज में बिना स्वामित्व प्रबंधन इकाई के निर्माण पर कोर्ट ने मांगा जवाब

बिहार  हाईकोर्ट ने सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर प्रखंड में गंगवारा बुजुर्ग के मेहसौल गांव में स्थानीय प्रशासन की ओर से एक कचरा प्रबंधन इकाई (डब्ल्यूपीयू) के निर्माण को लेकर दायर अर्जी पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति राजीव राय की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा कि क्या डब्ल्यूपीयू बनाने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति ली गई थी.

सुरेंद्र राउत की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लिए डब्ल्यूपीयू का निर्माण कराया जा रहा था. यह मामला पूर्व से लंबित है. ऐसे में उसका निर्माण कार्य कैसे प्रारंभ किया गया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रस्तावित स्थल, जहां परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है, वहां से करीब सौ फीट की दूरी पर सड़क के दोनों किनारे लगभग 50 परिवारों का घर है. आबादी वाले इस इलाके में कूड़ा-करकट हौज बनाए जाने से गंदगी और दुर्गंध के कारण इसके समीप बसे लोगों का अपने अपने घरों में रहना दुश्वार हो जाएगा. प्रस्तावित स्थल पूर्व से सरकारी नक्शे में रास्ते की जमीन है और इस पर डब्ल्यूपीयू का निर्माण कराए जाने से इलाके के किसानों का रास्ता बंद हो गया. इससे उनके कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि ग्रामीणों द्वारा इसको लेकर लिखित तौर पर शिकायत राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव, जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी, उपविकास आयुक्त, सीतामढ़ी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, रुन्नीसैदपुर एवं अंचल अधिकारी, रुन्नीसैदपुर को पूर्व में दी गई थी पर अबतक योजना के प्रस्तावित स्थान को नहीं बदले जाने से ग्रामवासी अपने वासस्थल के समीप कूड़ा-करकट हौज बनाए जाने के कारण तनाव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी.


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