लक�?ष�?य प�?राप�?त करने के लि�? ‘सब क�?छ या क�?छ नहीं’ मार�?ग

महोदय – अध�?ययनों से पता चला है कि केवल 8% लोग जो न�? साल का संकल�?प लेते हैं, पूरे वर�?ष के दौरान पालन करते हैं, और 80% लोग फरवरी तक छोड़ देते हैं। लोगों के अपने लक�?ष�?यों पर टिके रहने में विफल रहने का �?क कारण यह है कि वे अपने लि�? असंभव लक�?ष�?य निर�?धारित करते हैं और उन�?हें प�?राप�?त करने के लि�? ‘सब क�?छ या क�?छ नहीं’ दृष�?टिकोण अपनाते हैं। पिछले वर�?ष की त�?लना में प�?रगति और स�?धार पर बह�?त अधिक जोर दिया गया है। यह याद रखना महत�?वपूर�?ण है कि प�?रगति के विपरीत आवश�?यक रूप से प�?रतिगमन नहीं है। स�?थिर बने रहने में अधिक नहीं तो उतना ही प�?रयास लगता है जितना कि प�?रगति करने में।
स�?ब�?रत दासग�?प�?ता, कलकत�?ता
दृढ़ हों
महोदय – कांग�?रेस नेता, राह�?ल गांधी ने सरकार पर �?पकी लेने का आरोप लगाया है जबकि चीन भारत के खिलाफ पूर�?ण य�?द�?ध की योजना बना रहा है। इसके कारण भारतीय जनता पार�?टी द�?वारा यह आरोप लगाया गया कि राह�?ल सशस�?त�?र बलों का मनोबल गिरा रहे हैं। राह�?ल ने यह कहते ह�?�? पलटवार किया है कि वह केवल सरकार की आलोचना कर रहे थे न कि सेना की (“राह�?ल: छ�?पाओ मत”, 1 जनवरी)। बार�?बों का यह व�?यापार केवल जनता को भ�?रमित करता है।
इस बीच चीन अपने नापाक मंसूबों पर आगे बढ़ता जा रहा है। हालांकि यह सच है कि जब दो परमाण�?-सशस�?त�?र देशों की बात आती है तो द�?स�?साहस के लि�? कोई जगह नहीं है, बीजिंग को ख�?श करने की आदत हो रही है। सामरिक टकराव भारत के लि�? आगे का रास�?ता होना चाहि�?। लेकिन खराब निर�?णय लेने और सरकार की ओर से �?ूठ के कारण इसे असंभव बना दिया गया है।
शोवनलाल चक�?रवर�?ती, कलकत�?ता
सब दिमाग में
सर – उद�?दालक म�?खर�?जी ने “स�?पेक�?ट�?रल सीज़न” (28 दिसंबर) में �?क लोकप�?रिय परिकल�?पना को अपने सिर पर रख लिया। आमतौर पर यह तर�?क दिया जाता है कि कल�?पना की कमी – चाहे वह सार�?वजनिक प�?रवचन या साहित�?य में हो – जलवाय�? परिवर�?तन को कम करने की च�?नौतियों में से �?क है। म�?खर�?जी का तर�?क है कि लोगों को आराम की �?ूठी भावना में ल�?भाकर कल�?पना �?क शक�?तिशाली खतरा हो सकती है।
यह �?क दिलचस�?प प�?रस�?ताव है। वैज�?ञानिकों ने साबित कर दिया है कि कल�?पना हमारी रक�?षा करने में महत�?वपूर�?ण भूमिका निभाती है, �?से परिदृश�?यों को गढ़ती है जो वास�?तविकता के आघात को कम करने के लि�? नहीं ह�?�? होंगे। क�?या तब यह तर�?क दिया जा सकता है कि जो लोग कल�?पना कर रहे हैं कि जलवाय�? के साथ सब क�?छ जहाज के आकार का है, वे वास�?तव में स�?थिति की गंभीरता से अवगत हैं?
यशोधरा सेन, कलकत�?ता
महोदय – लेख, “स�?पेक�?ट�?रल सीज़न”, तर�?क देता है कि कल�?पना की शक�?ति लोगों को जलवाय�? परिवर�?तन के बारे में ख�?द को भ�?रमित करने की अन�?मति देती है। लेकिन बात सिर�?फ इतनी ही नहीं है। दक�?षिणपंथी राजनीति का उदय, बौद�?धिकता-विरोधी, विज�?ञान में विश�?वास का क�?षरण और धार�?मिक रूढ़िवाद में वृद�?धि, सभी ने ग�?लोबल वार�?मिंग को नकारने में योगदान दिया है।
स�?खेंद�? भट�?टाचार�?य, ह�?गली
महोदय – राज ने भले ही बंगालियों को �?क “निष�?क�?रिय” जाति होने की कल�?पना की हो, लेकिन यह द�?र�?भाग�?यपूर�?ण है कि इस तरह के चरित�?र हनन का विरोध करने के बजाय, बंगाली ख�?द बार-बार इसका आह�?वान करते हैं, जैसा कि उद�?दालक म�?खर�?जी “स�?पेक�?ट�?रल सीज़न” में करते हैं। इसके अलावा, बंदर-टोपी पूरे भारत में लोगों द�?वारा पहनी जाती है, फिर भी केवल बंगाली ही इसके लि�? उपहास उड़ाते हैं।
काजल चटर�?जी, कलकत�?ता
अधिक बचाओ
महोदय – केंद�?र ने इस वित�?तीय वर�?ष की जनवरी-मार�?च तिमाही के लि�? 12 लघ�? बचत योजनाओं में से आठ पर ब�?याज दरों में भारी वृद�?धि की है। यह न�?यू ईयर बोनांजा जैसा है। हालांकि, इस लाभ से चार योजनाओं को वंचित करना तर�?कहीन है। इसके अलावा, आवश�?यक वस�?त�?ओं और सेवाओं की कीमत के अन�?रूप ब�?याज दरों में बढ़ोतरी की जानी चाहि�?। ब�?याज दरों में मनमानी वृद�?धि या कमी बचत को प�?रोत�?साहित करने में विफल रहती है।
के। वी। सीतारमैया, बेंगल�?र�?
परिवर�?तनों का य�?ग
महोदय – 95 वर�?ष की आय�? में पोप बेनेडिक�?ट सोलहवें की मृत�?य�? के बारे में जानकर निराशा ह�?ई। वह छह शताब�?दियों में पद से इस�?तीफा देने वाले पहले पोंटिफ बने। उन�?हें उनके शिष�?टाचार, सज�?जनता और ख�?लेपन के लि�? याद किया जा�?गा। कार�?डिनल�?स की उनकी निय�?क�?तियों ने रोमन कैथोलिक चर�?च में �?क कमी को संबोधित करते ह�?�? �?शिया और लैटिन अमेरिका की ओर �?क स�?पष�?ट बदलाव दिखाया था।
जयंत दत�?ता, ह�?गली
निराई की
सर – इंडियन मेडिकल �?सोसि�?शन ने 2016 के बाद से कम से कम 26 फर�?जी चिकित�?सकों का पर�?दाफाश करने के लि�? ग�?वाहाटी के �?क डॉक�?टर अभिजीत नियोग को सम�?मानित किया है। ये �?ोलाछाप न केवल ग�?रामीण और अर�?ध-शहरी क�?षेत�?रों में बल�?कि असम के कई शहरों में भी अभ�?यास कर रहे थे। सार�?वजनिक स�?रक�?षा स�?निश�?चित करने के लि�? निओग के धर�?मय�?द�?ध से राज�?यों में कई लोगों को मदद मिलेगी। अन�?य राज�?य भी �?ोलाछाप चिकित�?सकों के प�?लेग से पीड़ित हैं और उन�?हें बाहर निकालने के लि�? आवश�?यक उपाय करने चाहि�?।

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सोर�?स: telegraphindia


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