टकराव की सियासत
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क�?रेडिट: जनसत�?ता: राज�?यों के विकास में क�?छ परियोजना�?ं राज�?य सरकारें चलाती हैं, तो क�?छ केंद�?र सरकार। जो महकमे केंद�?र के अधीन हैं, उनकी परियोजनाओं का संचालन केंद�?र करता है, मगर संबंधित राज�?य सरकारों से उनमें अपेक�?षित सहयोग की दरकार रहती है। पर जब केंद�?र और राज�?य में दो अलग दलों की सरकारें होती हैं, तो अक�?सर दोनों के बीच सियासी टकराव देखा जाता है।
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अगर उस राज�?य में केंद�?र सरकार कोई परियोजना लेकर आती है, तो राज�?य सरकार का र�?ख प�?राय: असहयोग का या उदासीन ही देखा जाता है। पश�?चिम बंगाल के संदर�?भ में यह क�?छ अधिक ही है। इसका ताजा उदाहरण हावड़ा से न�?यू जलपाईग�?ड़ी के लि�? रवाना की गई पहली वंदे भारत रेल को हरी �?ंडी दिखाने के मौके पर देखने को मिला।
उस कार�?यक�?रम में नाराज म�?ख�?यमंत�?री ममता बनर�?जी ने मंच पर च�?ने से इनकार कर दिया और वे नीचे सामने की क�?र�?सी पर बैठी रहीं। हालांकि उन�?हें रेलमंत�?री और वहां के राज�?यपाल ने मनाने का प�?रयास किया, पर वे नहीं मानीं। बताया गया कि वे इसलि�? नाराज हो गर�?इं कि उन�?हें देख कर भाजपा कार�?यकर�?ताओं ने नारे लगा�?। �?सा पहले भी हो च�?का है, जब प�?रधानमंत�?री की मौजूदगी में ममता बनर�?जी अपनी नाराजगी जाहिर करते ह�?�? मंच से नीचे उतर गई थीं।
हालांकि यह कोई अनोखी बात नहीं है, हर राजनीतिक दल के कार�?यकर�?ता अपने नेताओं के समर�?थन और विपक�?षी नेताओं के खिलाफ नारेबाजी करते ही हैं। ममता बनर�?जी को अपने राजनीतिक जीवन में �?सी स�?थितियों से न जाने कितनी बार दो-चार होना पड़ा होगा। इसलि�? उनसे उम�?मीद की जाती थी कि वे भाजपा कार�?यकर�?ताओं की नारेबाजी को नजरअंदाज कर देतीं। मगर यह भी सच है कि मर�?यादाओं का पालन दोनों तरफ से अपेक�?षित होता है।
बेशक वह केंद�?र सरकार की परियोजना के उद�?घाटन का अवसर था, पर उस राज�?य की म�?ख�?यमंत�?री अगर वहां अतिथि के रूप में आमंत�?रित थीं, तो उनका आदर किया ही जाना चाहि�? था। फिर वह �?सा भी मौका था, जब प�?रधानमंत�?री की मां का निधन ह�?आ था और सब शोक में थे, तब कार�?यकर�?ताओं को सियासी खेल से बचने की जरूरत थी। हालांकि उस घटना को तृणमूल कांग�?रेस अपनी नेता के अपमान के रूप में प�?रचारित कर रही है, मगर वास�?तव में बात इतनी भर नहीं है। असल बात राज�?य में केंद�?र की परियोजना से जनाधार के इधर से उधर होने के भय की अधिक लगती है।
चूंकि ममता बनर�?जी केंद�?र सरकार पर सदा आक�?रामक देखी जाती हैं, उसकी नीतियों और फैसलों पर �?तराज जताती रही हैं, इसलि�? वे प�?राय: केंद�?र सरकार के कार�?यक�?रमों में असहज महसूस करती रही हैं। यह ठीक है कि राजनीतिक समीकरणों के लि�? दलगत आधार पर मतभेद प�?रकट करना अन�?चित नहीं, मगर किसी परियोजना के उद�?घाटन के मौके पर �?सी नाराजगी या अहंकार का प�?रदर�?शन ठीक नहीं माना जा सकता।
जिस रेल का उद�?घाटन किया गया, आखिरकार उसका लाभ राज�?य के लोगों को ही मिलेगा। उससे वहां न�? रोजगार पैदा होंगे। बेशक कोई केंद�?र की परियोजना हो, पर लाभ अगर राज�?य को मिल रहा है, तो वहां के म�?ख�?यमंत�?री को उससे ख�?श ही होना चाहि�?। इस तरह बार-बार नाराजगी जाहिर करना न तो �?क म�?ख�?यमंत�?री की गरिमा के अन�?कूल कहा जा सकता है और न गणतांत�?रिक व�?यवस�?था की मर�?यादा के। राज�?य की जनता के हितों को सियासी समीकरणों से परे ही रखना चाहि�?।