न्याय में देरी का सवाल, यह लोगों को निराश करने के साथ ही देश की प्रगति में बन रही बाधक

न्याय में देरी को लेकर बातें तो बहुत होती हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला है। अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट ने तारीख पर तारीख के सिलसिले पर चिंता प्रकट की थी लेकिन इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे सका कि आखिर न्यायाधीश मामलों की सुनवाई को टालने या फिर अगली तारीख देने के लिए राजी ही क्यों हो जाते हैं?

अंततः पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुना दी गई। पांचवें दोषी को तीन साल की सजा दी गई, लेकिन वह इसलिए रिहा हो जाएगा, क्योंकि दंड की अवधि से अधिक समय तक जेल में रह चुका है। देश की राजधानी में एक महिला पत्रकार की हत्या एक चर्चित मामला था। इसके बाद भी फैसला आने में 15 वर्ष लग गए। स्पष्ट है कि यह देर से दिए गए फैसले का एक और उदाहरण है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय