विनायक चतुर्थी पर जरूर करें ये काम, दूर हो जाएगी सारी परेशानी
ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में व्रत त्योहरों की कमी नहीं है एक आता है तो दूसरा जाता है आज विनायक चतुर्थी का व्रत किया जा रहा है जो कि श्री गणेश की साधना को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है जो कि इस बार 16 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है।
इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश के निमित्त उपवास रखते हैं इसके बाद भगवान की विधिवत पूजा करते हैं माना गया है कि ऐसा करने से गणपति की कृपा प्राप्त है और कष्टों में कमी आती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आप लंबे वक्त से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और इससे मुक्ति का उपाय चाहते हैं तो आज के दिन विधिवत गणपति की आराधना करें और पैसों की किल्लत से मुक्ति पाएं।
श्री गणेश की पूजा विधि—
विनायक चतुर्थी पर सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत पूजा का संकल्प करें और शुभ मुहूर्त में श्री गणेश की आराधना करें। भगवान गणेश की प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें और सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं अब गणपति को माला अर्पित कर तिलक लगाएं। इसके बाद पूजन सामग्री अर्पित करें दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल, रोली, हल्दी आदि भगवान को चढ़ाएं। पूजा के दौरान ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। अंत में भगवान को उनके प्रिय लड्डूओं का भोग लगाएं और आरती करें। इसके बाद शाम को चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें जल अर्पित करें फिर खुद भी भोजन करें पूजन के दौरान श्री गणेश की आरती जरूर पड़ें और भूल चूक के लिए क्षमा मांगते हुए अपनी प्रार्थना कहें और धन संकट से मुक्ति पाएं।
श्री गणेश आरती—
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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