दिल्ली का वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में पहुंचा, थोड़ी राहत की खबर

दिल्ली। दिल्ली की तरह मुंबई का वातावरण भी खराब हो चुका है। यहां प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ता जा रहा है। मुंबई में कचरा डंपिंग की निगरानी के लिए कोई मार्शल नहीं है। स्लम समूहों और बिना सुरक्षा वाले सोसाइटियों में कचरा प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थानीय स्तर पर जैव-मिथेनेशन संयंत्र नहीं लगा हुआ है। साथ ही कचरा जलाने पर कोई जुर्माने का भी प्रावधान नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई मोर्चों पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) निष्क्रिय है। इसके कारण शहर में हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है।

इस साल मार्च में जारी बीएमसी की मुंबई वायु प्रदूषण शमन योजना (एमएपीएमपी) ने खुले में जलाए जाने वाले कूड़े और ठोस अपशिष्ट को वायु प्रदूषण के शीर्ष पांच स्रोतों में से एक के रूप में पहचाना है। अन्य चार में निर्माण स्थल और वहां से निकलने वाले मलबे से उत्पन्न धूल, सड़क की धूल और रेस्तरां, ढाबों, बेकरियों और सड़क के किनारे भोजनालयों में खराब ईंधन का उपयोग और कंक्रीट और कास्टिंग यार्ड संयंत्रों का उपयोग करने वाले कई उद्योग शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में बीएमसी ने अपने 24 नगरपालिका वार्डों से औसतन 6,385 मीट्रिक टन प्रतिदिनकचरा एकत्र किया। 2021-22 से 15 प्रतिशत अधिक है। बीएसी के द्वारा यह कचरा कुछ ही हिस्सों से एकत्र किया जाता है। एक अधिकारी ने कहा, ”झुग्गी बस्तियों में जागरूकता की कमी के कारण कचरे का पृथक्करण नहीं किया जाता है। इसके कारण अधिकांश लोग कचरा जला देते हैं।”
#WATCH | Overall air quality in Delhi stands at 190 in the ‘Moderate’ category as per SAFAR-India.
(Visuals from Signature Bridge) pic.twitter.com/uZRcs0ivt6
— ANI (@ANI) October 25, 2023