शिव की नगरी में दुर्गा पूजा की धूम, पंडालों में विराजी मां दुर्गा

वाराणसी। शारदीय नवरात्र आते हैं काशी मिनी बंगाल के रूप में परिवर्तित हो जाता है। शिव की नगरी में शक्ति की आराधना में लोग तल्लीन हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ बिना शक्ति दुर्गा के अधूरे हैं। इसीलिए भगवान भोलेनाथ को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है। काशी में जगह-जगह भव्य पूजा पंडाल बनाए गए हैं, जहां पर शक्ति के रूप में माता दुर्गा का विधि विधान के साथ पूजा अर्चन किया जा रहा है। माता के पंडाल में कहीं बच्चों के लिए प्रतियोगिता, कहीं भंडारा, तो कहीं इलेक्ट्रॉनिक झालरों से पूरे पंडाल को सजाया गया है। जो लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पूजा पंडालों में शंख, ध्वनि घंटा के साथ ही ढाक की आवाज सुनाई दे रही है। पूजा पंडाल दर्शनार्थियों से खचाखच भरा हुआ है। लोग दर्शन पूजन करने के साथी पूजा पंडालून में प्रसाद भी ग्रहण कर रहे हैं। चेत सिंह किला में स्थापित काशी दुर्गा उत्सव समिति द्वारा माता की प्रतिमा कोलकाता से मंगाई गई है। जहां पर माता जी का विधि- विधान के साथ पूजन अर्चन करने के साथ ही भव्य आरती उतारा गया। माता को भोग लगाया गया तथा कोलकाता से आए कलाकारों ने ढाक बजाकर पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया।

अभिषेक चौधरी ने बताया कि इस बार हम लोग हीरक जयंती बड़े धूमधाम से मना रहे हैं। पूजा पंडाल के साथ ही यहां पर अयोध्या में बना रहे पंडाल की प्रतिमूर्ति भी बनाई गई है। जिसे इलेक्ट्रॉनिक झालरों द्वारा सुंदर ढंग से सजाया गया है। केदारघाट स्थित श्री विद्या मठ के सामने केदार स्पोर्टिंग क्लब द्वारा पंचमेवा से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा लोगों को आकर्षित कर रही है। यहां पर भी माता का विधि- विधान के साथ पूजा अर्चन किया जा रहा है। इस प्रतिमा को बनाने के लिए एक कुंटल पंचमेवा का इस्तेमाल किया गया है। केदार स्पोर्टिंग क्लब के संजय यादव ने बताया कि यह प्रतिमा अपने आप में विशेष तरह से बनाया गया है। हम लोगों द्वारा हर साल प्रतिमा को अलग-अलग तरह से बनवाया जाता है तथा 9 दिनों तक विधि- विधान के साथ पूजन किया जाता है। इसी क्रम में पांडे हवेली स्थित वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलनी द्वारा मां का भव्य मूर्ति स्थापित किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही माता का पूजन अर्चन किया जा रहा है। मां का प्रतिमा ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे सजीव रूप में मां पंडाल में विद्यमान है। मां का श्रृंगार लगभग 12 किलो चांदी से किया गया है। इस दौरान मां दुर्गा के प्रतिमा के साथ माता सरस्वती विद्या की अधिष्टती देवी सरस्वती गणेश कार्तिकेय सिंह तथा महिषासुर को भी चांदी के आभूषणों से सजाया गया है।
वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलनी पर्थ प्रतिम दत्त ने बताया कि यह दुर्गा उत्सव 102 साल पुरानी है। जहां पर मां का विधि- विधान के साथ पूजन अर्चन किया जाता है। इसके साथ ही माता सहित गणेश कार्तिकेय माता सरस्वती लक्ष्मी सिंह तथा महिषासुर को भी चांदी से सजाया जाता है। सोनारपुर स्थित स्टूडेंट क्लब द्वारा 1953 से ही माता का प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान के साथ पूजा अर्चन किया जाता है तथा पंडाल को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। इस बार पंडाल में नौ देवियों का भी चित्र लगाया गया है। इसके साथ ही मां दुर्गा का भव्य प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चन किया जा रहा है लोग दर्शन करने के साथ यहां पर प्रसाद भी ग्रहण कर रहे हैं। वीरेश्वर शुक्ला ने बताया कि यहां पर हर साल माता दुर्गा की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा किया जाता है। इसके साथ ही बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें नवमी के दिन बच्चों को बुलाकर प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान पाने वाले को पुरस्कृत किया जाता है। यहां पर लोगों के लिए प्रसाद का भी वितरण किया जाता है। भेलूपुर स्थित जिम स्पोर्टिंग क्लब में 18 फीट ऊंची माता दुर्गा की प्रतिमा बनाई गई है। यह प्रतिमा पंडाल में ही लगभग तीन माह बाद बनकर तैयार होता है। जिसके बाद माता के प्राण प्रतिष्ठा किया जाता है और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ होता है। यहां पर महिला दर्शनार्थियों के साथ ही अन्य लोगों की भारी भीड़ उमराती है। संस्था के जीबी बनर्जी ने बताया कि यह प्रतिमा लगभग तीन माह पूर्व बनना स्टार्ट होता है इसके बाद माता को सुंदर ढंग से सजाया जाता है यह आदमकद प्रतिमा होती है। विधि विधान के साथ माता का पूजा किया जाता है इसके बाद महिलाओं द्वारा सिंदूर की होली खेली जाती है उसके बाद प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। भेलूपुर में स्थापित शारदोत्सव संघ द्वारा पिछले कई वर्षों से माता का विधि विधान के साथ हर वर्ष प्रतिमा स्थापित कर प्राप्त प्रतिष्ठा किया जाता है इसके साथ ही माता का 3 दिनों तक पूजा अर्चन किया जाता है। पूजा पंडाल में लोगों को माता के भोग के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है जहां पर हजारों की संख्या में लोग हर वर्ष प्रसाद ग्रहण करते हैं। संस्था के कौशिक ने बताया कि पिछले कई वर्ष के साथ धूमधाम से माता का प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना किया जाता है।