रोबोटिक सर्जरी ने प्रोस्टेट कैंसर के दुष्प्रभावों को ख़त्म कर दिया

प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट अब मरीजों को परेशान नहीं करेंगे। अभी तक सर्जरी के बाद मरीजों को यूरिन डिस्चार्ज और सेक्सुअल डिसऑर्डर की समस्या आती है। इनसे छुटकारा पाने के लिए भारतीय डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी की नई तकनीक तैयार की, जिसे विश्व स्तर पर पहचान मिली है। सफदरजंग में अभी तक प्रोस्टेट कैंसर की एक हजार से अधिक रोबोटिक सर्जरी हो चुकी हैं।

इस तकनीक के लिए एम्स और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने अमेरिका के डॉक्टरों के साथ नर्व स्प्रिंग रोबोट-असिस्टेड रैडिकल प्रोस्टेटक्टोमी वर्तमान परिप्रेक्ष्य विषय पर अध्ययन किया। इस अध्ययन को एशियन जर्नल ऑफ यूरोलॉजी ने बेस्ट पेपर अवाॅर्ड 2022 से सम्मानित किया। विशेषज्ञों की मानें तो इस पेपर के लिए अंग्रेजी साहित्य के अध्ययनों को शामिल किया गया। इसमें प्रोस्टेट कैंसर, रोबोटिक रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी और नर्व-स्पेयरिंग बोट-असिस्टेड रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी को लेकर स्वतंत्र रूप से व्यवस्थित समीक्षा की गई।

विभिन्न प्रकाशित अध्ययनों के ऑन्कोलॉजिकल और कार्यात्मक परिणामों का विश्लेषण करने के लिए डेल्फ़ी पद्धति को रोबोटिक सर्जनों के एक पैनल के साथ लागू किया गया। अध्ययन के संबंध में सफदरजंग अस्पताल में यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख व अध्ययन टीम के सदस्य डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी के बाद मरीजों में यूरिन डिस्चार्ज और सेक्सुअल डिसऑर्डर की समस्या आती है। इसे रोकने के लिए रोबोट से सर्जरी की तकनीक तैयार की।

इसमें प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी में तंत्रिका को बचाया जाता है जिससे नियंत्रण पहले की तरह बना रहता है। ऐसे में मरीज को पेशाब लीक होने का पता चल जाता है। इसके अलावा उसके सेक्सुअल लाइफ भी प्रभावित नहीं होती। यह भारत का पहला मामला है, जिसमें सर्जरी के बाद मरीजों में होने वाली परेशानी को रोका गया।

पुरुषों में होने वाला दूसरा सामान्य कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है। साथ ही कैंसर से होने वाली मौत का छठा प्रमुख कारण भी है। अंग्रेजी मेडिकल साहित्य के तहत नियमित प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) जांच के कारण ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी और उत्तरी यूरोप में प्रोस्टेट कैंसर की उच्चतम दर दर्ज की गई है। ऐसे में इसके उपचार के लिए रोबोट-असिस्टेड रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी (आरएआरपी) स्थानीयकृत प्रोस्टेट कैंसर के प्रबंधन के लिए सबसे बेहतर विकल्प है।

सफदरजंग में हो चुकीं एक हजार सर्जरी

सफदरजंग में अभी तक प्रोस्टेट कैंसर की एक हजार से अधिक रोबोटिक सर्जरी हो चुकी हैं। इन सर्जरी में 30 से 35 फीसदी मरीज सामान्य प्रोस्टेट कैंसर के थे, जबकि 50 से 60 फीसदी मरीज एडवांस प्रोस्टेट कैंसर के थे। रोबोटिक तकनीक से की गई सर्जरी में सामान्य के साथ एडवांस स्टेज के मरीज को भी बड़ी राहत मिली। दोनों तरह के मरीजों में रोबोट से की गई सर्जरी के बाद तंत्रिका को बचाया जा सका, जिससे मरीज की संवेदनशीलता बनी रही। डॉक्टरों की मानें तो रोबोटिक तकनीक से होने वाली सर्जरी के बाद नतीजा सबसे बेहतर आया है। सर्जरी के बाद साइड इफेक्ट नहीं दिखे


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