जानिए अघोरी बाबा के जीवन से जुड़े कई रहस्य

अघोरी बाबा ; अघोरी बाबा वो होते है जो श्मशान घाट में तंत्र क्रिया करते है।अघोरी बाबा अघोरी बाबा देर रात श्मशान में तंत्र क्रिया और साधना करते हैं। इनका इतिहास लगभग 1000 वर्ष पूर्व का है। अघोरी बाबाओं का जीवन बहुत कठिन होता है। अघोरी बाबा दिखने में काफी डरावने होते है। जब बाबा मन प्रेम, घृणा, प्रतिशोध, ईर्ष्या आदि भावनाओं से मुक्त होते है तब उन्हें अघोरी का दर्जा दिया जाता है।

कच्चा मांस खाते हैं अघोरी- कहा जाता है कि अघोरियों ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि वे श्मशान में रहते हैं और अधजली लाशों का मांस खाते हैं. हालांकि आम लोगों को यह डरावना लग सकता है, लेकिन माना जाता है कि ऐसा करने से अघोरी की तंत्र क्रिया शक्तियां मजबूत हो जाती हैं।
शिव और शव की होती है पूजा अघोरी- शिव के पांच स्वरूपों में एक ‘अघोर’ भी है। अघोरी भी भगवान शिव के उपासक होते हैं और भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं। इसके साथ ही वे शव के पास बैठकर साधना भी करते हैं। क्योंकि इस शव को शिव प्राप्ति का मार्ग कहा जाता है। वे उनके ध्यान में शव का मांस और मदिरा चढ़ाते हैं। एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की साधना की जाती है और श्मशान में बैठकर हवन भी किया जाता है।
शव के साथ दैहिक संबंध- माना जाता है कि अघोरी बाबाओं का शव के साथ दैहिक संबंध होता है और इस बात को अघोरी खुद भी स्वीकार करते हैं। वह इसे शिव और शक्ति की पूजा का एक तरीका मानते हैं। उनका मानना है कि शव के साथ शारीरिक क्रिया करते समय यदि मन ईश्वर की भक्ति में लगा रहे तो यही साधना का उच्चतम स्तर है।
अघोरी नहीं करते ब्रह्मचर्य का पालन- जहां अन्य साधु-संत ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वहीं अघोरी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं। अघोरियों का संबंध सिर्फ लाशों से ही नहीं बल्कि जीवित लोगों से भी है। ये शरीर पर राख लपेटकर ढोल के बीच शारीरिक संबंध बनाते हैं। इतना ही नहीं, जब किसी महिला को मासिक धर्म होता है तो वे विशेष रूप से शारीरिक संबंध बनाते हैं। यह क्रिया भी साधना का ही एक भाग मानी जाती है। माना जाता है कि इससे अघोरी की शक्ति बढ़ती है।
अघोरी रखते हैं नरमुंड- अघोरी हमेशा अपने साथ नरमुंड यानी मानव खोपड़ी रखते हैं, जिसे ‘कपालिक’ कहा जाता है। शिव के अनुयायी होने के कारण, अघोरी नरमुंड रखते हैं और इसे अपने भोजन पात्र के रूप में उपयोग करते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि एक बार भगवान शिव ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था और उसके सिर से पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा की थी।
असली अघोरी की पहचान
असली अघोरी कभी भी दुनिया में सक्रिय भूमिका नहीं निभाते,
असली अघोरी खुराक तो उसकी साधना में ही समाहित होती है।
इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे कुछ भी नहीं चाहिए
उनकी साधना की एक रहस्यमय शाखा अघोरपंथ है जिसके अलग-अलग नियम और कानून हैं।