राजभवन और विधानसभा अध्यक्ष के बीच विवाद

राँची न्यूज़: मानसून सत्र में आधा दर्जन से ज्यादा विधेयक पारित होने हैं. हालांकि, हिंदी और अंग्रेजी में बिल पास कराने को लेकर विधानसभा और राजभवन के बीच विवाद जस का तस बना हुआ है. स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो पहले ही कह चुके हैं कि विधानसभा में मूल विधेयक हिंदी में रखा जाता है और उसी रूप में पारित किया जाता है. ऐसे में राजभवन को बिल हिंदी में ही भेजा जाएगा.

राजभवन चाहे तो इसका अंग्रेजी में अनुवाद करा ले. क्योंकि हिंदी से अंग्रेजी में कुछ गलतियां हो रही हैं, जिसकी वजह से बिल लौटाया गया है. उन्होंने अधिकारियों से बिल हिंदी में भेजने को भी कहा है. जानकारों का कहना है कि अगर स्पीकर अपने रुख पर अड़े रहे तो बड़ा संवैधानिक गतिरोध पैदा हो सकता है. जानकारों के मुताबिक विधानसभा से हिंदी में पारित विधेयक को अंग्रेजी प्रति के साथ भेजना अनिवार्य है।

बिल से जुड़ी खास बातें…जो आपको जानना जरूरी है

1. बिल को अंग्रेजी में भी भेजने का संवैधानिक प्रावधान: मूल बिल को अंग्रेजी में ही तैयार करने की परंपरा रही है। बिहार से अलग होने के बाद झारखंड विधानसभा में अंग्रेजी में बिल तैयार किया गया. इसके हिंदी अनुवाद का मसौदा विधानसभा में पारित हो गया। ऐसा इसलिए क्योंकि संवैधानिक तौर पर बिल को अंग्रेजी के साथ ही राज्यपाल के पास भेजने का प्रावधान है.

2. राजपत्रित होने के लिए विधेयक का राजपत्र अंग्रेजी में प्रकाशित होना अनिवार्य है। विधेयक का राजपत्र अंग्रेजी में प्रकाशित होना अनिवार्य है। इसलिए, राज्यपाल को अधिनियमों पर सहमति देते समय हिंदी में पारित विधेयक के साथ-साथ अंग्रेजी प्रति की भी आवश्यकता होती है। संविधान का अनुच्छेद 348 यह संवैधानिक अनिवार्यता बनाता है कि कोई भी नियम-उपनियम अंग्रेजी भाषा में होना चाहिए।


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