दंडनीय मामले में तत्काल गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए बुधवार को विभिन्न हाई कोर्ट और राज्य पुलिस प्रमुखों के लिए अहम निर्देश जारी किया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अधिकतम सात साल की सजा वाले अपराधों में य़ांत्रिक तरीके से गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों और राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस प्रमुखों (डीजीपी) को इस बाबत आवश्यक आदेश जारी करने को कहा है। आठ सप्ताह के भीतर इस निर्देशों का पालन करना होगा।

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने यह निर्देश दिया है। पीठ ने कहा है कि पुलिस अधिकारियों को पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता को लेकर पूरी तरह संतुष्ट हो जाना चाहिए। पीठ ने यह निर्देश वैवाहिक विवाद मामले में झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

बता दें कि मोहम्मद असफाक आलम के खिलाफ उसकी पत्नी ने वैवाहिक विवाद का मामला दर्ज कराया था। इसमें में झारखंड हाईकोर्ट ने पति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। अपील करने वाले पति ने अपने पक्ष में दलील दी कि गिरफ्तारी का प्रानधान होने का अर्थ यह नहीं है कि हर मामले में गिरफ्तारी जरूरी है। इसके बाद शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए मोहम्मद असफाक आलम को जमानत दे दी। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के मामले में जमानत देते समय जारी किए गए अपने निर्देशों को फिर से बताया। ये निर्देश जारी करते समय शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि पुलिस अधिकारी आरोपियों को अनावश्यक रूप से गिरफ्तार न करें। साथ ही मजिस्ट्रेट लापरवाही से और मशीनी तरीके से हिरासत को अधिकृत न करें।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि विभिन्न हाई कोर्ट ऐसे अपराधों से निपटने वाले सत्र न्यायालयों और अन्य सभी आपराधिक न्यायालयों द्वारा पालन किए जाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करें। इसी तरह सभी राज्यों में पुलिस महानिदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि इन निर्देशों के संदर्भ में सख्त निर्देश जारी किए जाएं। पीठ ने कहा कि इन निर्देशों का पालन आठ सप्ताह के भीतर किया जाए।

पीठ ने कहा कि सभी राज्य सरकारों को अपने पुलिस अधिकारियों को निर्देश देना होगा कि अगर कोई मामला आईपीसी की धारा 498-ए के तहत या दहेज उत्पीड़न के तहत दर्ज किया गया है तो पुलिस अधिकारी स्वत: ही आरोपी की गिरफ्तारी नहीं करें। ऐसा तभी किया जाना चाहिए जब मामले को देख रहे अधिकारी गिरफ्तारी की आवश्यकता के बारे में संतुष्ट हों। यह दिशा-निर्देश उन मामलों में भी लागू होंगे जिनमें अपराध की सजा सात साल या उससे कम की कैद होती है। 


R.O. No.12702/2
DPR ADs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
रुपाली गांगुली ने करवाया फोटोशूट सुरभि चंदना ने करवाया बोल्ड फोटोशूट मौनी रॉय ने बोल्डनेस का तड़का लगाया चांदनी भगवानानी ने किलर पोज दिए क्रॉप में दिखीं मदालसा शर्मा टॉपलेस होकर दिए बोल्ड पोज जहान्वी कपूर का हॉट लुक नरगिस फाखरी का रॉयल लुक निधि शाह का दिखा ग्लैमर लुक