सानिया मिर्जा का टेनिस से संन्यास

आदित्य नारायण चोपड़ा: दुनिया की पूर्व नम्बर वन डबल्स टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने आस्ट्रेलियन ओपन फाइनल में हार के साथ ही टेनिस को अलविदा कह दिया। यद्यपि वो आखिरी बार अगले महीने दुबई में डब्ल्यूटीए टूर्नामैंट में टेनिस करियर का आखिरी मुकाबला खेलेंगी। सानिया मिर्जा की निजी जिन्दगी में कई तूफानों की खबरें चल रही हैं। लेकिन वह अब उस पड़ाव पर हैं जहां हार-जीत कोई मायने नहीं रखती। वह आस्ट्रेलियन ओपन फाइनल जीत भी जातीं तो उसका ख्वाब जरूर पूरा होता लेकिन ऐसा हो नहीं सका। हार के बाद सानिया मिर्जा भावुक हो गई और उसने भरे दिल से टेनिस से विदाई ली। सानिया मिर्जा को टेनिस में सनसनी कहा जाता था। उसने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। उसकी सफलता का यही राज रहा कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सानिया आज के समय में युवाओं की प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। उन्होंने खेल में तो जीत हासिल की ही लेकिन करोड़ों लोगों का दिल भी जीता। सानिया मिर्जा ने अपना पहला टूर्नामैंट 1999 में जकार्ता में हुए वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप खेला था। उसके बाद तो उसने कई ऊंची उड़ाने भरीं। 2005 में 18, 19 साल की स्टाइलिश सानिया पर सभी की निगाहें लग गईं। अन्तर्राष्ट्रीय करियर में 2005 में ही सानिया ने बड़ा कारनामा कर दिखाया था। वह ऑस्ट्रेलिया ओपन के तीसरे दौर में पहुंच गई थी। उसका सामना ऑल टाइम ग्रेट खिलाड़ी सेरेना विलियम्स के साथ था। सानिया ने सेरेना को जमकर छकाया। वह मैच जरूर हार गई लेकिन उसके चमकते करियर की नींव पड़ चुकी थी। यह वह दौर था जब हमारे पास कोई टेनिस स्टार नहीं था। सानिया ने 2003 में विंबल्डन चैम्पियनशिप गर्ल्स डबल में खिताब अपने नाम किया। एफ्रो-एशियाई खेलों में सानिया ने चार गोल्ड मैडल पर अपना कब्जा जमाया। वर्ष 2007 में सानिया ने चार युगल खिताब जीते और सिंगल रैंकिंग में वर्ल्ड में 27वें नम्बर पर मुकाम बना लिया। 2009 में सानिया ने आस्ट्रेलियाई ओपन में महेश भूपति के साथ मिक्स्ड डबल में पहला ग्रैंड स्लैम जीता। सानिया मिर्जा ने अपने करियर में 6 ग्रैंड स्लैम हासिल किए हैं।कई ऐसे अवसर हैं जिनके जरिए सानिया ने देश का नाम रोशन किया है। सानिया मिर्जा ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला के तौर पर जानी जाती हैं। साल 2009 में वे भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं। वहीं डबल्स में वर्ल्ड में पहला मुकाम हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी का रिकॉर्ड भी सानिया के नाम दर्ज है। सानिया साल 2005 में डब्ल्यूटीए पर कब्जा जमाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। सानिया को पद्यश्री अवार्ड, अर्जुन अवार्ड और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड समेत कई नेशनल और इंटरनेशन अवार्ड से नवाजा जा चुका है।सानिया ने उस दौर में पहचान बनाई जब भारत में महिला टेनिस में दूर-दूर तक कोई नहीं था। उसके सामने कई सामाजिक चुनौतियां भी आकर खड़ी हो गई थीं। कुछ मुस्लिम संगठनों ने टेनिस कोर्ट में सानिया मिर्जा के पहनावे को लेकर फतवा जारी कर दिया था। स्कर्ट, हाफ पैंट या खुली बाजू वाली ड्रैस पहनकर उतरने को इस्लाम के खिलाफ बताकर काफी बवाल खड़ा किया था। लेकिन सानिया ने कोई परवाह न करते हुए दुनियाभर में खेलना जारी रखा। इससे सानिया को देश-विदेश में पहचाना जाने लगा। उसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोग अपनी बेटियों का नाम भी सानिया रखने लगे। उसने अपनी निजी जिन्दगी में भी कई उतार-चढ़ाव देखे। 2009 में सानिया की शादी तय हुई जो जल्दी ही टूट गई। उसके बाद पाकिस्तानी क्रिकेट शोएब मलिक से शादी की खबरों को भो मीडिया ने खूब उछाला। टेनिस भी राजनीति से अछूता नहीं रहा। जब पेस-भूपति का विवाद काफी बढ़ा और पेस के साथ कोई खेलने को तैयार नहीं था तो फैडरेशन ने सानिया को पेस के साथ टेनिस कोर्ट में उतारा।संपादकीय :गुमनाम लोगों को सबसे बड़ा पुरस्कार-यही देश का गौरवसिन्धु जल बंटवारे पर विवादनाक की खुराकनये बजट को तैयार भारतबाबा का फरलोपाकिस्तान को ‘दावतनामा’2014 में सानिया मिर्जा को तेलंगाना राज्य का ब्रांड एंबैस्डर बनाया गया था। इस फैसले का विरोध शुरू हुआ तो एक नेता के बयान ने उसे अन्दर तक झकझोर दिया था। उस नेता ने सानिया मिर्जा को पाकिस्तान की बहू बताते हुए उसे ब्रांड एंबैस्डर बनाने का विरोध किया था। तब सानिया मिर्जा की आंखों में आंसू थे और उसने कहा था कि ”आखिर कब तक उसे भारतीय होने का सबूत देना पड़ेगा, वो मरते दम तक भारतीय रहेंगी।” सानिया कई वर्षों से दुबई में रहती हैं। इन सारी घटनाओं का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि और चाहे जो कुछ हो सानिया मिर्जा का टेनिस प्यार बरकरार रहा। वो विवादों से न डरीं, न घबराईं, कभी-कभार गुस्से में कुछ बयान जरूर दिए, लेकिन कोर्ट में अपनी धार को बरकरार रखा। अनफिट हुईं तो वापसी के लिए जमकर मेहनत की। सिंगल्स को छोड़कर डबल्स पर फोकस किया। फ्रेंच ओपन को छोड़ दिया जाए तो हर ग्रैंडस्लैम में खिताब जीता। अब वो देश की बहुत बड़ी स्पोर्टिंग आइकन बन चुकी हैं, लेकिन विवाद अब भी उनके साथ चलते थे। आए दिन लोग उनकी राष्ट्रीयता पर ही सवाल उठा देते हैं। स्वाभाविक है इसके पीछे की वजह थी उनके पति शोएब मलिक का पाकिस्तानी क्रिकेटर होना। इन बातों को सानिया ने परिपक्वता से ‘हैंडल’ किया। साल 2020 में उन्हें फेड कप हर्ट पुरस्कार मिला। जो खेल को लेकर उनकी ‘कमिटमेंट’ का सम्मान था।

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