बिहार में तेज़ी से फ़ैल रहा स्क्रब टाइफस, एडवाजरी जारी करने की तैयारी

बिहार | बिहार में स्क्रब टाइफस जानलेवा बिमारी बनती दिख रही है. यह एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है.इस बीमारी ने कई व्यक्तियों को बुरी तरह पीड़ित किया है. बिहार से सटे उत्तरप्रदेश में इसके कई मामले सामने आए हैं. पड़ोसी राज्यों में इस बीमारी की भयावहता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग बिहार में भी इसको लेकर एडवाइजरी जारी करने की तैयारी में है.

साल 22 में हुई एक रिसर्च के मुताबिक इस बीमारी से किडनी खराब हो जाती है. विकलांगता की स्थिति आ सकती है. इसके लक्षणों के नजरअंदारज करना, निदान देर से होना और इलाज का काम न करना मौत का कारण बनता है.

देश का हाल
हिमाचल में एक हजार से ज्यादा मामले सामने आए और 15 की मौत हो चुकी है.
ओडिशा में 5 लोगों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र, यूपी में मामले सामने आ रहे.
उत्तराखंड व राजस्थान में स्क्रब टाइफस के जोखिमों को लेकर अलर्ट किया.
दुनिया में स्थिति
● भौगोलिक रूप से देखें तो यह एशिया प्रशांत क्षेत्र तक सीमित है.
● हर साल स्क्रब टाइफस के तकरीबन दस लाख मामले सामने आते हैं.
● दक्षिण पूर्व एशिया के फैलाव ज्यादा है. भारत भी दक्षिण एशिया में है.
● भारत के अलावा इसका खतरा चीन, जापान और इंडोनेशिया में भी है.

स्क्रब टाइफस कौन सी बीमारी है?
स्क्रब टाइफस नाम की बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया की वजह से होती है. यह संक्रामक रोग है. ये संक्रमित पिस्सुओं यानी चिगर्स के काटने से उसके शरीर से मनुष्य के शरीर में फैलता है. ये छोटे-छोटे कीड़े होते हैं, जो ज्यादातर घास, झाड़ियों, चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर होते हैं. इसे बुश टाइफस भी कहा जाता है.

किस मौसम में इसका खतरा ज्यादा होता है?
वैसे तो पूरे साल ही स्क्रब टाइफस बीमारी होने का जोखिम रहता है. बारिश के मौसम में चूंकि कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है, इसिलए इस मौसम में इनके काटने का जोखिम भी बढ़ जाता है.
सवाल और किन कारणों से स्क्रब टाइफस हो सकता है?
जवाब यह एक संक्रामक बीमारी है. इसलिए जब कोई स्वस्थ व्यक्ति बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसे भी स्क्रब टाइफस हो सकता है. बैक्टीरिया कीड़े के मल के कॉन्टेक्ट में आने से भी फैल सकते हैं. इन्फेक्टेड सूई का इस्तेमाल करने से भी ये बैक्टीरिया शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं.
सवाल कीड़े के काटने से कैसे निशान बन जाते हैं?
जवाब चिगर्स शरीर के जिस हिस्से में काटते हैं, वहां पर गहरे रंग की पपड़ी जैसा घाव बन जाता है. साथ ही शरीर पर लाल धब्बे या चकत्ते पड़ने लगते हैं. चिगर्स आमतौर पर टखने, निचले पैर, घुटने और कमर वाले हिस्सों पर ही काटते हैं.
सवाल इसके लक्षण क्या हैं?
जवाब 104-05 डिग्री तक बुखार, कंपकंपी, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में परेशानी, लिवर में खराबी, बेहोशी आना, त्वचा का रंग बदलना आदि. गंभीर मामलों में कई अंग काम करना बंद कर देते हैं.

 


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