यूएस बॉन्ड में रिकॉर्ड तेजी, 16 साल के हाई पर यील्ड, जाने क्यां है कारण , जाने वजह

अमेरिका : अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और समाजवादी अमेरिकी आर्थिक संकट का असर पूरी दुनिया पर है। ताजा कॉल्स बॉन्ड मार्केट से जुड़े हैं, जिस पर दुनिया भर के उपभोक्ताओं की नजरें टिकी हुई हैं। सॉसेज़ अमेरिका में बांड यील्ड कई पूर्वी देशों में सबसे अधिक हो गया है। यह दुनिया भर के उद्यमों और उद्योगों पर असर डालता है। आइये जानते हैं क्या है बॉन्ड यील्ड? इसकी गणना कैसे करें? अमेरिकी बांड यील्ड बढ़ने का क्या असर हो सकता है और भारतीय बांड की क्या स्थिति है?

कितने अमेरिकी बांड यील्ड?
सबसे पहले आइए जानते हैं अमेरिकी बैंड की ताज़ा स्थिति क्या है? इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकन बैंड ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। सोमवार, 23 अक्टूबर को अमेरिका के 10 साल के सरकारी बांड पर 5 फीसदी की यील्ड पार कर ली गई। 10-वर्षीय अमेरिकी बैंड को मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है। सोमवार को इस बॉन्ड की पैदावार 5.02 फीसदी पर पहुंच गई, जो जुलाई 2007 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है। इसका मतलब यह है कि अमेरिकन बॉण्ड यील्ड 16 वर्ष से अधिक के अपने अधिकतम स्तर को छू गया। बाद में कुछ प्राकृतिक आय और सोमवार को अमेरिकन बांड यील्ड अंततः 4.85 प्रतिशत बढ़ गई।

बैंड यील्ड क्या है?
अब आगे बढ़ने से पहले यह स्टॉक जरूरी है कि असल में बॉन्ड यील्ड क्या है? बैंड इन्वेस्टमेंट एक ऋण साधन है। कोई भी सरकार अपनी अलग-अलग विचारधारा को पूरा करने के लिए बैंड रिलीज करती है। निवेशक एक तरह से बैंड खरीदकर सरकार को ऋण देते हैं। थोड़ा लोन है तो उस पर ब्याज भी बेकार। बैंड पर इंटरेस्ट भी है. किसी भी बांड पर जिस डार पर ब्याज दिया जाता है, यानी जिस डार पर बांड में निवेश करके ऋण देने वाले शेयरधारकों को रिटर्न दिया जाता है, उससे संबंधित बांड की उपज बताई जाती है। सीधे शब्दों में कहें तो आप बॉन्ड खरीदकर सरकार को लोन देते हैं और उस लोन से जो आपको मिलता है, वह बॉन्ड यील्ड होता है।

बैंड बिजनेस की गणना कैसे करें?
बॉन्ड यील्ड की गणना के लिए एक निश्चित सूत्र है। इसका गणना सिद्धांत राशि को मूल्य से विभाजित करके बताया जाता है। जब कोई निवेशक बैंड खरीदता है, तो बैंड जारीकर्ता उसे ब्याज के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान करता है। इसके अलावा जब बॉन्ड मैच्योर होता है तो निवेशक को भी भुगतान करना होता है। रिसर्च के समय, रिलीज़ निर्माता को बैंड के अंकित मूल्य के बराबर भुगतान मिलता है। इस तरह देखा जाए तो मूल राशि पूरी अवधि के दौरान एक समान रहती है। बांड का बिजनेस खुले बाजार में होता है, इसलिए उनका निर्माण कमजोर रहता है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जैसे आप किसी के शेयर के बारे में जानते हैं और उसका बिजनेस होता है, वैसे ही कंपनी के साथ भी बॉन्ड होता है।

भारतीय बैंड पर क्या असर होगा?
जब भी अमेरिका में सरकारी बॉन्ड की यील्ड बढ़ती है तो भारत समेत अन्य देशों में भी बॉन्ड की यील्ड बढ़ती दिखती है। इसी तरह दूसरे देशों के सरकारी बैंड्स की उपज भी कम हो रही है। हालाँकि, उपजी में बदलाव की गति अलग-अलग हो सकती है, क्योंकि यह कई घरेलू आंकड़ों से भी प्रभावित होती है।
भारतीय बैंड की स्थिति क्या है?
भारतीय बॉन्ड की बात करें तो देखें 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 7.38 फीसदी है। पिछले एक महीने में 24 बैसिस पॉइंट्स में 0.24 प्रतिशत की गिरावट आई है। करीब 3 साल में भारतीय बॉन्ड की पैदावार 1.50 फीसदी से ज्यादा है। आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2020 की शुरुआत में भारत के 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 5.76 फीसदी थी, जो कि 7.38 फीसदी है। यानी समीक्षाधीन अवधि में भारतीय बांड की उपज में 1.62 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में 4 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई है।

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