नवरात्रि में कन्या पूजन का क्या है महत्व जानिए नियम

नवरात्रि: सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन इन सभी में देवी साधना का महापर्व नवरात्रि को बेहद ही खास माना जाता है जो कि साल में चार बार पड़ता है जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है तो वही दो प्रत्यक्ष नवरात्रि मनाई जाती है। देशभर में अभी शारदीय नवरात्रि की धूम मची हुई है जिसका आरंभ 15 अक्टूबर से हुआ था और समापन 23 अक्टूबर को हो जाएगा। नवरात्रि का त्योहार पूरे नौ दिनों तक चलता है जिसमें माता के नौ अलग अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है।

मान्यता है कि ऐसा करने से देवी की असीम कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में सबसे महत्वपूर्ण अष्टमी और नवमी तिथि को माना जाता है जिसमें कन्या पूजन विशेष होता है। कहते हैं कि नवरात्रि व्रत पूजा का पूर्ण फल कन्या पूजन के बाद मिलता है। ऐसे में अगर आप भी कन्या पूजन कर माता का आशीर्वाद पाना चाहते है। तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कन्या पूजन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
नवरात्रि में कन्या पूजन—
शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और व्रत पूजा का पूर्ण फल मिलता है। ऐसे में अधिकतर लोग महाअष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को घर बुलाकर उनक पूजन करते हैं फिर खीर पुड़ी और चने का भोग लगाते हैं।