एएफटी ने खारिज किया नेवी प्रमुख का आदेश: कहा- बर्खास्तगी कॅरिअर बर्बाद कर देती है

सुनवाई का मौका दिए बिना अधिकारी को बर्खास्त करने के जल सेना प्रमुख के आदेश को आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) ने कानून के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया है। एएफटी ने कहा कि बर्खास्तगी कॅरिअर बर्बाद कर देती है और प्रभावित पक्ष को सुने बिना आदेश जारी नहीं किया जा सकता। यह सही है कि सक्षम प्राधिकारी को शक्तियां हैं लेकिन इसका इस्तेमाल करते हुए कानूनी प्रक्रिया का ध्यान रखना अनिवार्य है।

गुरदासपुर के सुरेश कुमार ने एडवोकेट अरुण सिंगला के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए एएफटी को बताया कि उसकी नेवी में 2010 में नियुक्ति हुई थी और 9 जनवरी 2013 को उसे आईएनएचएस अश्विनी पर तैनात किया गया। सेवा के दौरान उस पर आरोप लगा कि उसने कई महिला कर्मचारियों को मोबाइल से मैसेज व कॉल की।
शिकायत पर उसका समरी कोर्ट मार्शल हुआ और 26 अगस्त 2013 को उसे 30 दिन गृह कारावास की सजा कमांडिंग अफसर ने सुनाई थी। इसे मंजूरी के लिए चीफ ऑफ नेवी स्टाफ के पास भेजा गया और उन्होंने 27 सितंबर 2013 को इसे बढ़ाते हुए 90 दिन के कठोर कारावास व बर्खास्त करने में बदल दिया। इसके खिलाफ अपील को भी खारिज कर दिया गया।
एएफटी ने सभी पक्षों को सुन फैसला सुनाते हुए कहा कि चीफ ऑफ नेवी स्टाफ को सजा बढ़ाने की शक्ति है लेकिन इसका प्रयोग करते हुए कानून की तय प्रक्रिया को नहीं भूलना चाहिए। याची को बिना सुनवाई का मौका और बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए सजा बढ़ा दी गई जो कानून के अनुसार सही नहीं है। सजा बढ़ाने और बर्खास्त करने के आदेश को एएफटी ने रद्द कर दिया है और कमांडिंग अफसर के 30 दिन के हाउस अरेस्ट के आदेश की बाद की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने का निर्देश दिया है।