सर्दियों में खाएं मडुवे की रोटी ठंड में बॉडी को रखेगा गर्म

सर्दियां आते ही लोग अपने खान-पान की खास बातें रखते हैं। आप सभी को अपने घर में यह देखकर गर्व होता होगा कि ठंड के मौसम में गर्म तासीर वाली चीजें अक्सर खाने में शामिल होती हैं। फिर से अदरक दाल-सब्जी हो या रोटी। शरीर को ठंड से बचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोग क्षेत्र में मडुवे के सेवन का सेवन करते हैं। दरअसल, मडुवे का आटा गर्म होता है और इससे शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं।

मडुवा क्या है?
असली, मडुवे का आटा या मडुवे की फसल उत्तराखंड में पारंपरिक रूप से ओई जाने वाली गर्म प्रभाव वाली फसल है। मडुवे में प्रोटीन, वसा, खनिज आदि जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसे पहाड़ों में अमेरीका का राजा भी कहा जाता है। मडुवे का आटा आज पूरे राज्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे मडुवे वर्ग की सूची में शामिल किया गया है। वैसे तो मडुवे का आटा शरीर को कई तरह के फायदे और नुकसान पहुंचाता है, लेकिन ठंड के मौसम में इसका महत्व और बढ़ना जारी रहता है। मडुवे के आटे से न केवल रोटी के पत्ते हैं, बल्कि अब हलवा, बिस्किट केक आदि कई व्यंजन भी बनने लगे हैं। मैडुवे प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, ट्रिप्टोफैन, मेथियोनाइन, कोलेस्ट्रॉल, लेसिथिन, नाइट्रोजन, कैरोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि की प्रचुरता होती है जो शरीर के लिए आवश्यक और खतरनाक होती हैं।
पेट की समस्या दूर हो
मडुवे की रोटी में भारी मात्रा में पाया जाता है, जिसका वजन कितना होता है। मैडुवे का आटा पेट की समस्याएं जैसे एसिडिटी, कब्ज, अपच आदि से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स बिजनेस में भी शामिल है।
हड्डियाँ मजबूत संरचनाएँ हैं
शरीर की हड्डियों के मजबूत अस्तित्व के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी है। मडुवे की रोटी में कैल्शियम प्रचुर मात्रा पाई जाती है जिससे हमारी हड्डियाँ मजबूत रहती हैं। इसके नियमित सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो जाता है।
रामबाण के लिए मधुमेह
मधुमेह के समुद्र तट को भूख कम लगती है। मैडुवे बेडरमैग्लैन्सन फ्री होता है जो कीड़े के लिए खतरनाक होता है।
बीपी मेंटेन रहता है
मडुवे बेडरी बॉडी में बीपी के लेयर्स को भी मेंटेन किया जाता है। इसके अलावा जिन महिलाओं में दूध की कमी होती है उनके लिए भी मडुवा खतरनाक होता है। इसके सेवन से महिलाओं में फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन आदि की खुराक आसानी से मिल जाती है।
वायरल संक्रमण से
मौसम में बदलाव के कारण वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। मधुवे की रोटी का सेवन करने से तिल, ठंड, गले में दर्द, खराश आदि की समस्या नहीं होती है।