हमास ने 17 बंधकों को किया रिहा

नई दिल्ली। इजराइल और हमास के बीच सीजफायर के तीसरे दिन इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गाजा पहुंचे। जंग शुरू होने के बाद पीएम नेतन्याहू पहली बार गाजा पहुंचे थे। उन्होंने उत्तरी गाजा में मौजूद सैनिकों से मुलाकात की। नेतन्याहू ने अपने कार्यालय द्वारा जारी एक वीडियो में कहा कि वे अपने बंधकों को वापस लाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। वे हर बंधक को इजराइल वापस लाएंगे। इसके साथ ही हमास ने रविवार को बंधकों के तीसरे बैच में 14 इजराइलियों और 3 अन्य विदेशी नागरिकों को आजाद कर दिया है। इसके बदले में इजराइल ने दूसरे बैच के 39 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा कर दिया।

फिलिस्तीनियों को लेकर रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति की बस जब कब्जे वाले वेस्ट बैंक में अल-बिरेह पहुंची तो सैकड़ों लोगों ने आजाद हुए बंदियों का भव्य स्वागत किया। बस के आते ही भीड़ ने “अल्लाहू अकबर” के नारे लगाए। चरमपंथी संगठन हमास की सैन्य शाखा अल-कासिम ब्रिगेड ने रविवार को दावा किया कि इजराइल ने उसके उत्तरी ब्रिगेड के कमांडर अहमद अल-घंडौर और अन्य तीन वरिष्ठ नेताओं को मार डाला है।
सह्यूनी क़ैद से रिहाई पाने वाली सारा अब्दुल्लाह:
मैं नाबलुस (वेस्टबैंक) से हूं, मैं पिछले 8 साल से क़ैद में थी, मुझे हमास पर फ़ख़्र है मुझे उससे प्यार है और मुझे फिलिस्तीन से प्यार है,
मुझे गाज़ा से बहुत मुहब्बत है और मुझे मुहम्मद जैफ (अल कस्साम ब्रिगेड चीफ़) से प्यार है pic.twitter.com/mBgZEq5XBo
— Ali Usman Rajpoot (@UsmanRao_7) November 26, 2023
अल-कासिम ब्रिगेड ने एक बयान में कहा कि घंडौर उसकी सैन्य परिषद का सदस्य था। मारे गए तीन अन्य नेताओं के नाम भी बयान में लिए गए, जिनमें अयमान सियाम का नाम भी शामिल था। इजराइली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अयमान सियाम ब्रिगेड की रॉकेट-फायरिंग इकाइयों का प्रमुख था। वहीं, वेस्ट बैंक में शुक्रवार की रात भीड़ ने 2 फिलिस्तीनियों को गोली मारकर बिजली के खंभे से लटका दिया।वहीं, ब्रिटेन में फिलिस्तीनी समर्थक रैली में बड़ी भीड़ उमड़ने के एक दिन बाद पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सहित हजारों लोग लंदन में यहूदी विरोधी भावना के खिलाफ मार्च के लिए एकत्र हुए। यहूदी समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए मार्च में जॉनसन के साथ ब्रिटेन के प्रमुख रब्बी एफ़्रैम मिर्विस और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए। आयोजकों ने इसे दशकों तक लंदन में यहूदी विरोधी भावना के खिलाफ सबसे बड़ी सभा बताया।