फोर्टिस और आई.वी.वाई. अस्पताल पर एक-एक लाख की पैनल्टी

चंडीगढ़। स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन पंजाब ने सेवा में कोताही बरतने और राइट टू लाइफ एक्ट की अवमानना का दोषी पाते हुए फोर्टिस और आई.वी.वाई. अस्पतालों को मरीज के परिजनों को 1-1 लाख रुपए मुआवजे के रूप में देने के आदेश दिए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। केंद्र सरकार की एक्स सॢवसमैन हैल्थ स्कीम के तहत जो अस्पताल रजिस्टर्ड होते हैं, उन्हें मरीज के इलाज का बहुत कम खर्च मिलता है। यही कारण है कि उक्त योजना के दायरे में आते निजी अस्पताल एक्स सॢवसमैन हैल्थ स्कीम के तहत इलाज करने से परहेज करते हैं। ऐसा ही मामला यह सामने आया है, जिसमें एक महिला को अम्बाला के मिलिट्री अस्पताल से आई.सी.यू. में भर्ती कर बेहतर इलाज के लिए रैफर किया गया लेकिन मोहाली के फोॢटस अस्पताल व आई.वी.वाई. अस्पताल के डाक्टरों ने आई.सी.यू. बैड नहीं होने का हवाला देकर वापस भेज दिया। एमरजैंसी ट्रीटमैंट नहीं मिल पाने के कारण उक्त महिला मरीज की मौत हो गई।

वाश देवी नामक महिला की अम्बाला निवासी बेटी की ओर से दाखिल की गई अपील में कोर्ट को बताया गया कि उनकी मां को अगर सही वक्त पर आई.सी.यू. में बैड मिल जाता तो उनकी मौत न होती। वाश देवी की 10 सितम्बर-2016 को तबियत खराब हुई थी, जिन्हें अम्बाला के मिलिट्री अस्पताल में आई.सी.यू. में भर्ती किया गया था। उन्हें जी.आई. सर्जन व काॢडक डाक्टर की जरूरत थी। तबियत बिगड़ती देख डाक्टरों ने उन्हें एक्स सॢवसमैन स्कीम के अधीन आते अस्पताल के लिए रैफर कर दिया, जिन्हें 13 सितम्बर 2016 को आई.वी.वाई. अस्पताल मोहाली लाया गया, जहां डाक्टरों ने आई.सी.यू. बैड खाली नहीं होने की बात कहते हुए उक्त स्कीम के अधीन आते 14 अन्य अस्पतालों की लिस्ट थमा दी। मरीज को लेकर परिजन फोॢटस पहुंचे तो वहां भी आई.सी.यू. बैड नहीं होने का जिक्र कर मरीज को बिना इलाज वापस भेज दिया गया। परिजन पुन: मरीज को मिलिट्री अस्पताल अम्बाला ले गए, जहां रात को हालत बिगड़ती देख डाक्टरों ने पुन: किसी बड़े अस्पताल के लिए रैफर कर दिया। परिजन मरीज को इंडस अस्पताल डेराबस्सी ले गए, जहां कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई।
इस संबंध में मृतक वाश देवी की बेटी ने पंजाब मैडीकल कौंसिल को शिकायत की थी लेकिन कौंसिल ने दोनों अस्पतालों को एडवाइजरी जारी कर कोई कार्रवाई नहीं की। मृतका की बेटी ने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन फतेहगढ़ साहिब में शिकायत की, जहां दोनों अस्पतालों की ओर से किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार करते हुए बैड खाली नहीं होने का हवाला दिया गया। इन्हें राहत देते हुए कोर्ट ने मृतका की बेटी उषा की याचिका 30 नवम्बर-2021 को खारिज कर दी। इसके बाद उषा ने स्टेट कमीशन में अपील दाखिल की, जहां मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दया चौधरी व सिमरजोत कौर पर आधारित बैंच ने कहा कि अस्पतालों ने एक्स सॢवसमैन हैल्थ स्कीम के अधीन मरीज को आई.सी.यू. बैड खाली नहीं होने का बहाना बनाकर दाखिल नहीं किया गया, जो कि आॢटकल 21 के तहत आमजन को मिले राइट टू लाइफ और राइट टू हैल्थ की अवमानना है। कोर्ट ने दोनों अस्तालों को मरीज के परिजनों को 45 दिन के भीतर 1-1 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाए।